Wednesday, August 31, 2016

सिमटी हुई ये घडियां

सिमटी हुई ये घडियां
फिर से ना बिखर जाये
इस रात मे जी ले हम
इस रात मे मर जाए

अब सुबह ना आ पाये
आओ ये दुआ मांगे
इस रात के हर पल से
रातें ही उभर जाए

दुनिया की निगाहें अब
हम तक ना पहूंच पाये
तारों मे बसे चलकर
धरती मे उतर जाए

हालात के तिरों से
छलनी है बदन अपने
पास आओ के सिनों के
कुछ जख़म तो भर आये

आगे भी अंधेरा है
पीछे भी अंधेरा है
अपनी हैं वही सांसे
जो साथ गुजर जाये

बिछड़ी हुई रूहोंका
ये मेल सुहाना है
इस मेल का कुछ ऐहसान
जिस्मों पे भी भर जाए

तरसे हुए जज्बों को
अब और न तरसाओ
तुम शाने पे सर रख दो
हम बाँहों में भर जाए

शायर : साहिर लुधयानवी
आवाज : रफी - लता
संगीत : खय्याम
फिल्म : चंबल की कसम (१९८०)

दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई

दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई
तुने काहे को दुनिया बनायीं

काहे बनाये तूने माटी के पुतले
धरती ये प्यारी प्यारी मुखड़े ये उजले
काहे बनाया तूने दुनिया का खेला
जिसमें लगाया जवानी का मेला
गुप-चुप तमाशा देखे, वाह रे तेरी खुदाई
काहे को दुनिया...

तू भी तो तङपा होगा मन को बना कर
तूफां ये प्यार का मन में छुपा कर
कोई छवि तो होगी आँखों में तेरी
आंसूं भी छलके होंगे पलकों से तेरी
बोल क्या सूझी तुझको काहे को प्रीत जगाई
काहे को दुनिया...

प्रीत बनाके तूने जीना सिखाया
हँसना सिखाया, रोना सिखाया
जीवन के पथ पर मीत मिलाये
मीत मिला के तूने सपने जगाए
सपने जगा के तूने काहे को दे दी जुदाई
काहे को दुनिया...

गीतकार : शैलेंद्र
आवाज: मुकेश
संगीत : शंकर जयकिशन
फिल्म : तीसरी कसम

Friday, June 17, 2016

अर्ज़ियाँ

अर्ज़ियाँ सारी मैं चेहरे पे लिख के लाया हूँ
तुम से क्या माँगू मैं
तुम ख़ुद ही समझ लो
मौला मेरे मौला
दरारें-दरारें हैं माथे पे मौला
मरम्मत मुक़द्दर की कर दो मौला
मेरे मौला
तेरे दर पे झुका हूँ, मिटा हूँ, बना हूँ
मरम्मत मुक़द्दर की कर दो मौला

जो भी तेरे दर आया, झुकने जो सर आया
मस्तियाँ पिए सबको, झूमता नज़र आया
प्यास लेके आया था दरिया वो भर लाया
नूर की बारिश में भीगता सा तर आया
मौला मेरे मौला...

एक खुशबू आती थी, मैं भटकता जाता था
रेशमी सी माया थी, और मैं तकता जाता था
जब तेरी गली आया, सच तभी नज़र आया
मुझमें ही वो खुशबू थी, जिससे तूने मिलवाया
मौला मेरे मौला...

टूट के बिखरना मुझको ज़रूर आता है
वरना इबादत वाला शहूर आता है
सजदे में रहने दो, अब कहीं ना जाऊँगा
अब जो तुमने ठुकराया तो सँवर ना पाऊँगा
मौला मेरे मौला...

सर उठा के मैंने तो कितनी ख्वाहिशें की थी
कितने ख्वाब देखे थे, कितनी कोशिशें की थी
जब तू रूबरू आया, नज़रें ना मिला पाया
सर झुका के एक पल में मैंने क्या नहीं पाया
मौला मेरे मौला...

मोरा पिया घर आया, मोरा पिया घर आया
मौला मेरे मौला...


प्रसून जोशी
ए.आर.रहमान
जावेद अली, कैलाश खेर

Thursday, May 19, 2016

जब भी ये दिल उदास होता है

जब भी ये दिल उदास होता है
जाने कौन आस पास होता है
जब भी ये...

होंठ चुप चाप बोलते हो जब
साँस कुछ तेज़ तेज़ चलती हो
आँखें जब दे रही हों आवाज़ें
ठंडी आहों में साँस जलती हो
जब भी ये...

आँखों में तैरती है तस्वीरें
तेरा चेहरा तेरा खयाल लिये
आइना देखता है जब मुझको
एक मासूम सा सवाल लिये
जब भी ये...

कोई वादा नहीं किया लेकिन
क्यूँ तेरा इंतज़ार रहता है
बेवजह जब करार मिल जये
दिल बड़ा बेकरार रहता है
जब भी ये...


गीतकार : गुलजार
संगीतकार : शंकर - जयकिशन
गायक : मोहम्मद रफ़ी-शारदा
चित्रपट : सिमा (१९७१)

Sunday, May 8, 2016

सजाना साथ निभाना

सजाना साथ निभाना...
साथी मेरी बहारो के राह मे छोड़ ना जाना....
सजाना साथ निभाना

आके चला जाए ज़माना जो बहार का,
फूल मुरझाये ना तेरे मेरे प्यार का..
आज के वाडे सजाना
आज की बाते सजाना
भूल ना जाना..
सजाना साथ निभाना..
साथी मेरी बहारो के राह मे छोड़ ना जाना
सजाना साथ निभाना

वैसे तोह हज़ारो नज़रे मेरी राह मे,
एक बस तू ही समाया है निगाहो मे..
प्यार की रस्मे सजाना
प्यार की कसमे सजाना
भूल ना जाना..
सजाना साथ निभाना..
साथी मेरी बहारो के राह मे छोड़ ना जाना
किसने साथ निभाया..
दिल को एक खिलौना समझा
खेला और ठुकराया
किसने साथ निभाया

कहा के यह वादे यह कसमे कहा की
कहा है वोह दुनिया यह बाते है जहा की
कहा के यह वादे यह कसमे कहा की
कहा है वोह दुनिया यह बाते है जहा की
झूठी नगरी झूठे जोगी
प्रीएत भी सछि कैसे होगी
अच्छा ढोंग रचाया..
किसने साथ निभाया..
दिल को एक खिलौना समझा
खेला और ठुकराया
किसने साथ निभाया

गीत : राजेंद्र क्रिश्न
संगीत : रवी
गायक : आशा भोंसले, महम्मद रफी
चित्रपट : डोली (१९६९)

Friday, May 6, 2016

सुरमई शाम इस तरह आये

सुरमई शाम इस तरह आये
साँस लेते हैं जिस तरह साये
सुरमाई शाम...

कोई आहट नहीं बदन की कहीं
फिर भी लगता हैं तू यहीं है कहीं
वक़्त जाता सुनाई देता है
तेरा साया दिखाई देता है
जैसे खुशबू नज़र से छू जाये
साँस लेते हैं जिस तरह साये
सुरमाई शाम ...

दिन का जो भी पहर गुज़रता है
कोई अहसान सा उतरता है
वक़्त के पाँव देखता हूँ मैं
रोज़ ये छाँव देखता हूँ मैं
आये जैसे कोई खयाल आये
साँस लेते हैं जिस तरह साये
सुरमाई शाम ...


गीतकार : गुलजार
संगीतकार : हृदयनाथ मंगेशकर
गायक : सुरेश वाडकर
चित्रपट : लेकिन (१९९१)

https://www.youtube.com/watch?v=ADHapMuxZik

Wednesday, May 4, 2016

ऐ मेरे प्यारे वतन

ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन
तुझपे दिल क़ुरबान
तू ही मेरी आरज़ू, तू ही मेरी आबरू
तू ही मेरी जान

तेरे दामन से जो आए उन हवाओं को सलाम
चूम लूँ मैं उस ज़ुबाँ को जिसपे आए तेरा नाम
सबसे प्यारी सुबह तेरी, सबसे रंगीं तेरी शाम
तुझपे दिल...

माँ का दिल बन के कभी सीने से लग जाता है तू
और कभी नन्हीं सी बेटी बन के याद आता है तू
जितना याद आता है मुझको
उतना तड़पाता है तू
तुझपे दिल...

छोड़ कर तेरी ज़मीं को दूर आ पहुंचे हैं हम
फिर भी है ये ही तमन्ना तेरे ज़र्रों की क़सम
हम जहाँ पैदा हुए
उस जगह ही निकले दम
तुझपे दिल...


गीत : प्रेम धवन
संगीत : सलिल चौधरी
स्वर : मन्ना डे
चित्रपट : काबुलीवाला (1961)

Wednesday, April 27, 2016

दिल की गिराह खोल दो

दिल की गिराह खोल दो, चुप ना बैठो, कोइ गीत गाओ
महफील मे अब कौन है अजनबी, तुम मेरे पास आओ

मिलाने दो अब दिल से दिल को, मिटने दो मजबूरीयो को
शीशे मे अपने डुबो दो, सब फासलो दूरियो को
आखो मे मै मुसकुराऊ तुम्हारे जो तुम मुस्कुराओ

हम तुम ना हम तुन रहे अब कुछ और ही हो गए अब
सपनो के ज़िलामिल नगर मे, जाने कहा खो गए अब
हमराह पूछे किसी से ना तुम अपनी मंजिल बताओ

कल हम से पूछे ना कोइ, क्या हो गया था तुम्हे कल
मुड़कर नही देखते हम दिल ने कहा है चला चल
जो दूर पीछे कही रह गए, अब उन्हे मत बुलाओ


गीतकार : शैलेन्द्र
गायक : लता - मन्ना डे
संगीतकार : शंकर जयकिशन
चित्रपट : रात और दिन (१९६७)

Friday, April 22, 2016

रहते थे कभी जिनके दिल में


रहते थे कभी जिनके दिल में
हम जान से भी प्यारों की तरह
बैठे हैं उन्ही के कूचे में
हम आज गुनहगारों की तरह

दावा था जिन्हें हमदर्दी का
खुद आके न पूछा हाल कभी
महफ़िल में बुलाया है हम पे
हँसने को सितमगारों की तरह
रहते थे...

बरसों से सुलगते तन मन पर
अश्कों के तो छींटे दे ना सके
तपते हुए दिल के ज़ख्मों पर
बरसे भी तो अंगारों की तरह
रहते थे...

सौ रुप धरे जीने के लिये
बैठे हैं हज़ारों ज़हर पिये
ठोकर ना लगाना हम खुद हैं
गिरती हुई दीवारों की तरह
रहते थे...


गीतकार : मजरूह सुलतान पुरी
संगीतकार : रोशन
गायक लता मंगेशकर
फिल्म : ममता (१९६६)

http://gaana.com/search/songs/rehate%20the%20kabhi%20jinke

Monday, April 18, 2016

पिया मैंने क्या किया

मितवा मितवा मितवा
पिया मैंने क्या किया
पिया मैंने क्या किया
मुझे छोड़ के जइयो ना


मनवा बुझ न पाए ओ
मनवा बुझ न पाए ओ
हो गयी कौन सी भूल रे
छल गई प्यार को मेरे
क्यों पतझड़ की धूल रे
रूठे तुम किस बात पे
मुझे ये बतइयो


कुछ भी कहा ना जाए हो
छलके बस मेरे नहीं रे
छोड़ गया मेरा साथ हो
बीच गगर में चैन रे
बन गए फूल बबुल क्यों
कोई तो समझाई यो
पिया मैंने क्या किया
मुझे छोड़ के जइयो ना


गीत : योगेश (योगेश गौड़)
संगीत : सचिन देव बर्मन
स्वर : मन्ना डे
चित्रपट : उस पार (१९७४)

मितवा मितवा मोरे मन मितवा

मितवा मितवा मोरे मन मितवा
आजा रे आजा रे आजा रे
तुझको पुकारे प्यार किसी का
आजा रे आजा रे आजा रे

रात के मुकह पर चाँद का टिका
तुझ बिन लगे फीका फीका
मितवा आजा
आजा आजा मितवा आजा
तुझको पुकारे प्यार किसी का
आजा रे आजा रे आजा रे

इक पल रोक न पाए आंसू
क्यों इतने बरसाए आंसू
कोई न जाने दुःख बदली का
ओ मितवा तुझको पुकारे
प्यार किसी का
आजा रे आजा रे

गीत : नक्श लायलपुरी
संगीत : जयदेव
गायक : मन्ना डे / वाणी जयराम
चित्रपट : परिणय (१९७४)

Wednesday, April 6, 2016

ये पर्बतों के दायरे

ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यों न छेड़ दें दिलों की दास्ताँ

ज़रा सी ज़ुल्फ़ खोल दो फ़िज़ा में इत्र घोल दो
नज़र जो बात कह चुकी वो बात मुँह से बोल दो
कि झूम उठे निगाह में बहार का समाँ
ये पर्बतों के दायरे ...

ये चुप भी एक सवाल है अजीब दिल का हाल है
हर इक ख़याल खो गया बस अब यही ख़याल है
कि फ़ासला न कुछ रहे हमारे दर्मियाँ
ये पर्बतों के दायरे ...

ये रूप रंग ये फबन चमक्ते चाँद सा बदन
बुरा न मानो तुम अगर तो चूम लूँ किरण किरण
कि आज हौसलों में है बला की गर्मियाँ
ये पर्बतों के दायरे ...

बोल : साहीर
आवाज : रफी और लता
संगीत : चित्रगुप्त
फिल्म : वासना