Wednesday, June 26, 2013

तुम्हारे बिन गुजारे है कई दिन

तुम्हारे बिन गुजारे है कई दिन
अब न गुजरेंगे
जो दिल में आ गई है आज
हम वो कर ही गुजरेंगे
खबर क्या थी के अपने भी
सितारे ऐसे बिगड़ेंगे
के जो पूजा के काबिल है
वही यूँ रंग बदलेंगे

तुम्हारी एक न मानेंगे
करेंगे आज मनमानी
बहुत तरसाया है तुमने
नहीं अब और तरसेंगे
सताया तो नहीं करते
कभी किस्मत के मारों को
कीसी की जान जाएगी
किसी के अरमान निकलेंगे

मनाया तुम को कितनी बार
लेकिन तुम नहीं माने
तो अब मजबूर होकर हम
शरारत पर भी उतरेंगे
हकीकत क्या है ये पहले बता देते तो अच्छा था
खुद अपने जाल से भी हम न जाने कैसे निकलेंगे

कई दिन बाद फिर
यह साज यह सिंगार पाया है
आप यूं इनकार कर देंगे
तुम्हे कैसे बताएं
क्या हमारे साथ गुजरी है
तुम्हारे ख्वाब टूटेंगे
अगर सच बात कह देंगे

गीत : विघ्वेश्वर शर्मा
संगीत : शंकर (जय किशन)
गायक : लता और रफ़ी
फिल्म : आत्माराम

Friday, June 7, 2013

तुम तो प्यार हो, सजना

तुम तो प्यार हो, सजना
मुझे तुम से प्यारा और ना कोई

तुम तो प्यार हो, सजनी
मुझे तुम से प्यारा और ना कोई

कितना हैं प्यार हम से इतना बता दो
अंबर पे तारें जितने, इतना समझ लो
सच ? मेरी कसम ?
तेरी कसम तेरी याद मुझे लूटे
कसमे तो खानेवाले होते हैं झूठे
चलो जाओ, हटो जाओ, दिल का दामन छोड़ो

आ के ना जाये कभी, ऐसी बहार हो
तुम भी हमारे लिए जीवन सिंगार हो
सच ? मेरी कसम ?
तेरी कसम तू हैं, आँख के तिल में
तुम भी छूपी हो मेरे शीशा-ए-दिल में
मेरे हमदम मेरी बात तो मानो

गीतकार : हसरत जयपुरी
गायक : लता - रफी
संगीतकार : रामलाल
चित्रपट : सेहरा - 1963

Thursday, June 6, 2013

कल रात ज़िन्दगी से

कल रात ज़िन्दगी से मुलाकात हो गयी
लब थरथरा रहे थे मगर बात हो गयी
कल रात ज़िन्दगी से ....

एक हुस्न सामने था क़यामत के रूप में
एक ख्वाब जल्वागर था हकीकत के रूप में
चेहरा वही गुलाब की रंगत लिए हुए
नज़रें वहीँ पायं-ए -मुहब्बत लिए हुए
जुल्फे वाही की जैसे धुन्दालाका हो शाम का
कुछ देर को तसल्ली-ए -जज़्बात हो गयी
लब थरथरा रहे ....


देखा उसे तो दामन-ए -रुक्सार नम भी ठाट
वल्लाह उसके दिल को कुछ एहसास-ए -गम भी था
थे उसली हसरतों के खजाने लुटे हुए
लैब पर तड़प रहे थे फ़साने घुटे हुए
कांटे चुभे हुए थे सिसकती उमंग में
डूबी हुई थी फिर भी वफाओं के रंग में
दम भर को ख़त्म गर्दिश-ए -हालत हो गयी
लब थरथरा रहे ....

ए मेरी रूह-ए -इश्क मेरी जान-ए -शायरी
दिल मानता नहीं की तू मुझसे बिछड़ गयी
मायूसियां हैं फिर भी मेरे दिल को आस है
महासून हो रहा है के तू मेरे पास है
समझाऊँ किस तरह से दिल-ए -बेक़रार को
वापस कहाँ से लाऊं में गुज़री बहार को
मजबूर दिल के साथ बड़ी घात हो गई
लब थरथरा रहे ....

शायर : शकील बदायुनी
आवाज : महम्मद रफ़ी
तर्ज : नौशाद

मैं तेरी नज़र का सुरूर हूँ

मैं तेरी नज़र का सुरूर हूँ
तुझे याद हो के ना याद हो
तेरे पास रेहके भी दूर हूँ
तुझे याद हो के ना याद हो
मैं तेरी नज़र का सुरूर हूँ

मुझे आंख से तो गीरा दीया
कहो दील से भी क्या भुला दीया
तेरी आशीकी का गुरूर हूँ
तुझे याद हो के ना याद हो
मैं तेरी नज़र का सुरूर हूँ

तेरी ज़ुल्फ़ है मेरा हाथ है
के तू आज भी मेरे साथ है
तेरे दील में मैं भी ज़रूर हूँ
तुझे याद हो के ना याद हो
मैं तेरी नज़र का सुरूर हूँ

शायर : राजेंद्र कृष्ण
गायक : तलत महमूद
संगीत : मदन मोहन
चित्रपट :' जहाँआरा

तेरी आँख के आंसू पी जाऊं

तेरा गमक्वार लेकिन मै तुझ तक आ नहीं सकता
मै अपने नाम तेरी बेकसी लिखवा नहीं सकता

तेरी आँख के आंसू पी जाऊं ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
तेरे गम में तुझको बहलाऊ ऐसी मेरी तकदीर कहाँ

अय काश जो मिल कर रोते, कुछ दर्द तो हलके होते
बेकार न जाते आंसू, कुछ दाग जिगर के धोते
फिर राज न होता इतना, है तन्हाई में जितना
अब जाने ये रास्ता गम का, है और भी लम्बा कितना
हालात की उलझन सुलझाऊं ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
तेरी आँख के आंसू पी जाऊं

क्या तेरी ज़ुल्फ़ का लहरा, है अब तक वोही सुनहरा
क्या अब तक तेरे दर पे, देती है हवाएं पहरा
लेकिन है ये खाम-ओ-खयाली, तेरी ज़ुल्फ़ बनी है सवाली
मोहताज है एक कलि की, इक रोज़ थी फूलों वाली
वोह ज़ुल्फ़ परेशां महकाऊं ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
तेरी आँख के आंसू पी जाऊं

शायर : राजेंद्र कृष्ण
गायक : तलत महमूद
संगीत : मदन मोहन
चित्रपट :' जहाँआरा

फिर वही शाम वही गम वही तन्हाई है

फिर वही शाम वही गम वही तन्हाई है
दिल को समझाने तेरी याद चली आई है

फिर तसव्वुर तेरे पहलु में बिठा जाएगा
फिर गया वक्त घडी भर तो पलट आएगा
दिल बहल जायेगा आखिर ये तो सौदाई है
फिर वही शाम ....

जाने अब तुझ से मुलाकात कभी हो के न हो
जो अधूरी रही वो बात कभी हो के न हो
मेरी मंजिल तेरी मंजिल से बिछड़ आई है
फिर वही शाम ....


फिर तेरे ज़ुल्फ़ के रुखसार की बाते होंगी
हिज्र की रात मगर प्यार की बाते होंगी
फिर मोहोब्बत में तड़पने की क़सम खाई है
फिर वही शाम ....

शायर : राजेंद्र कृष्ण
गायक : तलत महमूद
संगीत : मदन मोहन
चित्रपट :' जहाँआरा

Tuesday, June 4, 2013

अपनी ख़ुशी से अपना ही दिल तोड़ना पड़ा

अपनी ख़ुशी से अपना ही दिल तोड़ना पड़ा
दुनिया की महफिलों से भी मुंह मोड़ना पड़ा
अपनी ख़ुशी से....

घबराके दिल का दर्द जो अश्कों में ढल गया
पलकों में आते आते उसे रोकना पड़ा
दुनिया की महफिलों से भी मुंह मोड़ना पड़ा
अपनी ख़ुशी से.....

साया भी साथ छोड़ के जाने किधर गया
मुड मुड कितनी बार मुझे देखना पड़ा
दुनिया की महफिलों से भी मुंह मोड़ना पड़ा
अपनी ख़ुशी से....

हम कौन है कहाँ के है और किस जगह पे है
तनहाइयों में ये भी कभी सोचना पड़ा
दुनिया की महफिलों से भी मुंह मोड़ना पड़ा
अपनी ख़ुशी से.....

गीत : राजेंद्र कृष्ण
संगीत : घनश्याम
गायिका : लता मंगेशकर
चित्रपट : कुंवारा बदन (१९७३)