Thursday, August 21, 2008

ये दिल तुम बीन ......

ये दिल तुम बीन कहिं लगता नहीं हम क्या करें -१
तसव्वुर में कोई बसता नहीं हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ जान-ए-वफ़ा हम क्या करें

लुटे दिल में दिया जलता नही हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ जान-ए-अदा हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या करें

किसी के दिल में बस के दिल को तडपाना नहीं अच्छा - २
निगाहों को छलकते देखके छुप जाना नही अच्छा,
उम्मिदों के खिले गुलशन को झुलसाना नही अच्छा
हमें तुम बिन कोई जचता नहीं हम क्या करें,
तुम्ही कह दो अब अए जान-ए-वफ़ा हम क्या करें
लुटे दिल में दिया जलता नहीं हम क्या करें

मोहब्बत कर तो ले लेकिन मोहब्बत रास आये भी- २
दिलों को बोझ लगते है कभि ज़ुल्फ़ों के साये भी
हज़ारों गम हैं इस दुनिया में अपने भी पराये भी
मुहब्बत ही का गम तन्हा नही हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ जान-ए-अदा हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहिं लगता नहीं हम क्या करे

बुझा दो आग दिल कि या इसे खुल कर हवा दे दो - २
जो इसका मोल दे पाये उसे अपनि वफ़ा दे दो
तुम्हारे दिल में क्या है बस हमें इतना पता दे दो,
के अब तन्हा सफ़र कटता नहीं हम क्या करें
लुते दिल में दिया जलता नहीं हम क्या करें
ये दिल तुम बीन कहिं लगता नहीं हम क्या करे

शायर : साहिर
गायक : रफ़ी और लता
संगीत : लक्ष्मिकांत प्यारेलाल
फ़िल्म : इज़्ज़त

Wednesday, August 13, 2008

भारत हमको जान से प्यारा है.....

भारत हमको जान से प्यारा है
जबसे न्यारा गुलिस्तां हमारा है
सदियों से भारत भूमी दुनिया की शान है
भारत मां की रक्षा में जीवन कुर्बान है
भारत हमको जान से प्यारा है
जबसे न्यारा गुलिस्तां हमारा है

उजडे नहिं अपना चमन
टूटे नहिं अपना वतन
मंदिर यहां
मस्जिद यहां
हिंदु यहां
मुस्लिम यहां
मिलके रहें हम प्यार से
जागो ......

हिन्दुस्तानि नाम हमारा है
सबसे प्यारा देश हमारा है
ज़न्मभूमी है हमारी शान से कहेंगे हम
सब ही तो भाइ भाइ प्यार से रहेंगे हम
हिन्दुस्तानी नाम हमारा है
सबसे प्यारा देश हमारा है

आसाम से गुजरात तक
बंगाल से महाराष्ट्र तक
ज़ाति कईं हम एक हैं
भाषा कईं सुर एक है
कश्मिर से मद्रास तक
कह दो सभी हम एक हैं
आवाज़ दो हम एक हैं
ज़ागो .................


गीत : मेहबूब
सन्गीत : ए. आर. रेहमान
फ़िल्म : रोजा
गायक : हरिहरन

Monday, August 11, 2008

कहीं दूर ज़ब

कहीं दूर ज़ब दिन ढल जाए
सांझ कि दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे खयालों के आंगन में
कोइ सपनों के दीप ज़लाए

कभी युं ही जब हुइ बोझल सांसें
भर आइ बैठे बैठे जब युं ही आंखें
कभी मचल के प्यार से चल के
छुए कोइ मुझे पर नज़र न आए
कहीं दूर...

कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
कहीं पे निकल आए जनमों के नाते
थमी थी उल्झन बैरी अपना मन
अपना ही होके सहे दर्द पराये
कहीं दूर...

गीतकार : योगेश
संगीत : सलिल चौधरी
गायक : मुकेश
फ़िल्म : आनंद

Saturday, August 9, 2008

ज़ाग दिल-ए-दीवाना ...

ज़ाग दिल-ए-दीवाना
रुत जागी
वसल-ए-यार की
बसी हुइ ज़ुल्फ़ में
आयी है सबाह प्यार कि
ज़ाग दिल-ए-दीवाना...

दो दिल के कुछ लेके पयाम आयी है
चाहत के, कुछ लेके सलाम आयी है
दर पे तेरे सुबह खडी
खोयी है दीदार कि
जाग दिल-ए-दीवाना...

एक परी, कुछ शाद सी नाशाद सी
बैठी हुयी, शबनम में तेरी याद की
भीग रहीं होगी कहीं
कलि सि गुलज़ार कि
ज़ाग दिल-ए-दीवाना...

ए मेरे दिल, अब ख्वाबों से मूह मोड ले
बीति हुयी, सब रातें येही छोड दे
तेरे तो दिन रात हैं
अब आन्खों में दिलदार की
जाग दिल-ए-दीवन.....

फ़िल्म : ऊंचे लोग
गायक : महम्मद रफ़ी
संगीत : चित्रगुप्त

ज़ाग दिल-ए-दीवाना ...

ज़ाग दिल-ए-दीवाना
रुत जागी
वसल-ए-यार की
बसी हुइ ज़ुल्फ़ में
आयी है सबाह प्यार कि
ज़ाग दिल-ए-दीवाना...

दो दिल के कुछ लेके पयाम आयी है
चाहत के, कुछ लेके सलाम आयी है
दर पे तेरे सुबह खडी
खोयी है दीदार कि
जाग दिल-ए-दीवाना...

एक परी, कुछ शाद सी नाशाद सी
बैठी हुयी, शबनम में तेरी याद की
भीग रहीं होगी कहीं
कलि सि गुलज़ार कि
ज़ाग दिल-ए-दीवाना...

ए मेरे दिल, अब ख्वाबों से मूह मोड ले
बीति हुयी, सब रातें येही छोड दे
तेरे तो दिन रात हैं
अब आन्खों में दिलदार की
जाग दिल-ए-दीवन.....

फ़िल्म : ऊंचे लोग
गायक : महम्मद रफ़ी
संगीत : चित्रगुप्त

Saturday, August 2, 2008

रंजिश ही सही ....

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ
आ फिर सय मुझे छोड के जाने कय लिये आ

अब तक दिल-ए-खुश-फ़ेहम को तुझ से हैं उम्मीदैं
ये आखरी शम्माएं भी बुझाने के लिये आ

पेहले से मरासिम न सहि फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रहाय दुनिया की निभाने के लिये आ

किस किस को बताएंगे जुदाइ का सबब हम
तु मुझ से खफ़ा है तो ज़माने के लिये आ

कुछ तो मेरी पिन्दार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तु भी तो कभी मुझ को मनाने के लिये आ

एक उम्र से हुं लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी मेहरूम
एय राहत-ए-जान मुझ को रुलाने कय लिये आ

Friday, August 1, 2008

माझिया प्रियाला ....

माझिया प्रियाला, प्रीत कळेना
अनुराग त्याचा माझा, हाय रे जुळेना

पावसात भिजतो श्रावण, सुखाचा महीना
आवरू मनाला कैसे, मला ते जमेना
मुकी नेत्रभाषा त्याला, कळूनी वळेना

यौवनात सुकते काया, दुःख आवरेना
वेदना उरीची छेडी मुक्या भावनांना
स्पर्श गोड अजुनी त्याचा, सुखाचा मिळेना

वसंतात नाही बोले, श्रावणात नाही
कठोरास माझ्या मनिचे, कळेनाच काही
रात रात शिणती डोळे, पापणी ढळेना


गीत - उमाकांत काणेकर
संगीत - श्रीकांत ठाकरे
स्वर - शोभा गुर्टू
राग - मिश्र हेमंत, पहाडी, ठुमरी