Saturday, January 5, 2013

तुम बिन जाऊं कहाँ

किशोर 

तुम बिन जाऊं कहाँ
की दुनिया में  के
कुछ  फिर चाहा कभी
तुमको चाह के
तुम बिन..

रह भी सकोगे तुम कैसे हो के मुझसे जुदा
फट जाएँगी दीवारें सुन के मेरी सदा
आना होगा तुम्हें मेरे लिए साथी मेरी
सूनी राह के..
तुम बिन..

इतनी अकेली सी पहले थी यही दुनिया
तुमने नज़र जो मिलायी बस गयी दुनिया
दिल को मिली जो तुम्हारी लगन दिए जल गए
मेरी आह के..
तुम बिन..


रफ़ी

देखो मुझे सर से कदम तक सिर्फ प्यार हूँ मैं 
गले से लगा लो के तुम्हाराबेकरार हूँ मैं
तुम क्या जानो के भटकता फिरा किस-किस गली
तुमको चाह के
तुम बिन...

अब है सनम हर मौसम प्यार के काबिल
पड़ी जहाँ छाँव हमारी सज गयी महफ़िल
महफ़िल क्या तन्हाई में भी लगता है जी
तुमको चाह के
तुम बिन...

Friday, January 4, 2013

रोज़ रोज़ आँखों तले

रोज़ रोज़ आँखों तले एक ही सपना चले
रात भर काजल जले, आँख में जिस तरह
ख़्वाब का दिया जले

जबसे तुम्हारी नाम की मिसरी होंठ लगायी है
मीठा सा ग़म है, और मीठी सी तन्हाई है
रोज़ रोज़ आँखों तले...

छोटी सी दिल की उलझन है, ये सुलझा दो तुम
जीना तो सीखा है मरके, मरना सिखा दो तुम
रोज़ रोज़ आँखों तले...

आँखों पर कुछ ऐसे तुमने ज़ुल्फ़ गिरा दी है
बेचारे से कुछ ख़्वाबों की नींद उड़ा दी है
रोज़ रोज़ आँखों तले...

geet : Gulzaar
Bol : Aasha Bhonsale and Amit Kumar
Music : RDB

Thursday, January 3, 2013

तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं

तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन ज़िंदगी तो नहीं 

काश ऐसा हो तेरे क़दमों से 
चुन के मंजिल चलें , और कहीं , दूर कहीं 
तुम अगर साथ हो , मंजिलों की कमी तो नहीं 
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं...

जी में आता है तेरे दामन में 
सर छुपाके हम रोते रहें , रोते रहें
तेरी भी आँखों में आँसुओं की नमी तो नहीं 
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं...

तुम जो कह दो तो आज की रात 
चाँद डूबेगा नहीं , रात को रोक लो
रात की बात है और ज़िंदगी बाकी तो नहीं 
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं.

आजकल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे

आजकल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो , देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए

जब भी थामा है तेरा हाथ तो देखा है 
लोग कहते हैं कि बस हाथ की रेखा है 
हमने देखा है दो तक़दीरों को जुड़ते हुए
आजकल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे

नींद-सी रहती है , हलका-सा नशा रहता है
रात-दिन आँखों में इक चेहरा बसा रहता है
पर-लगी आँखों को देखा है कभी उड़ते हुए
आजकल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे

जाने कया होता है , हर इक बात पे कुछ होता है 
दिन में कुछ होता है और रात में कुछ होता है
थाम लेना , जो कभी देखो हमें उड़ते हुए 
आजकल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो , देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए