उल्फत में ज़माने की हर रस्म को ठुकराओ
तुम पास मेरे आओ
कदमों को न रोकेगी, ज़ंजीर रिवाजों की
हम तोड़ के निकालेंगे दीवार समाजों की
दूरी पे सही मंजिल दूरी से न घबराओ
उल्फत में ज़माने की हर रस्म को ठुकराओ
मैं अपनी बहारों को रंगीन बना दूंगा
सौ बार तुम्हे अपनी पलकों पे बिठा लूँगा
शबनम की तरह मेर्रे गुलशन पे बिखर जाओ
शबनम की तरह मेर्रे गुलशन पे बिखर जाओ
उल्फत में ज़माने की हर रस्म को ठुकराओ
आ जाओ के जीने के हालात बदल डालें
हम मिलके ज़माने के दिन रात बदल डालें
तुम मेरी वफाओं की एक बार कसम खाओ
उल्फत में ज़माने की हर रस्म को ठुकराओ
गीत : नक्श लायलपुरी
संगीत : सपन जगमोहन
गायक : किशोर कुमार (Male Version)
गायिका : लता मंगेशकर (Female Version)