Wednesday, April 27, 2016

दिल की गिराह खोल दो

दिल की गिराह खोल दो, चुप ना बैठो, कोइ गीत गाओ
महफील मे अब कौन है अजनबी, तुम मेरे पास आओ

मिलाने दो अब दिल से दिल को, मिटने दो मजबूरीयो को
शीशे मे अपने डुबो दो, सब फासलो दूरियो को
आखो मे मै मुसकुराऊ तुम्हारे जो तुम मुस्कुराओ

हम तुम ना हम तुन रहे अब कुछ और ही हो गए अब
सपनो के ज़िलामिल नगर मे, जाने कहा खो गए अब
हमराह पूछे किसी से ना तुम अपनी मंजिल बताओ

कल हम से पूछे ना कोइ, क्या हो गया था तुम्हे कल
मुड़कर नही देखते हम दिल ने कहा है चला चल
जो दूर पीछे कही रह गए, अब उन्हे मत बुलाओ


गीतकार : शैलेन्द्र
गायक : लता - मन्ना डे
संगीतकार : शंकर जयकिशन
चित्रपट : रात और दिन (१९६७)

Friday, April 22, 2016

रहते थे कभी जिनके दिल में


रहते थे कभी जिनके दिल में
हम जान से भी प्यारों की तरह
बैठे हैं उन्ही के कूचे में
हम आज गुनहगारों की तरह

दावा था जिन्हें हमदर्दी का
खुद आके न पूछा हाल कभी
महफ़िल में बुलाया है हम पे
हँसने को सितमगारों की तरह
रहते थे...

बरसों से सुलगते तन मन पर
अश्कों के तो छींटे दे ना सके
तपते हुए दिल के ज़ख्मों पर
बरसे भी तो अंगारों की तरह
रहते थे...

सौ रुप धरे जीने के लिये
बैठे हैं हज़ारों ज़हर पिये
ठोकर ना लगाना हम खुद हैं
गिरती हुई दीवारों की तरह
रहते थे...


गीतकार : मजरूह सुलतान पुरी
संगीतकार : रोशन
गायक लता मंगेशकर
फिल्म : ममता (१९६६)

http://gaana.com/search/songs/rehate%20the%20kabhi%20jinke

Monday, April 18, 2016

पिया मैंने क्या किया

मितवा मितवा मितवा
पिया मैंने क्या किया
पिया मैंने क्या किया
मुझे छोड़ के जइयो ना


मनवा बुझ न पाए ओ
मनवा बुझ न पाए ओ
हो गयी कौन सी भूल रे
छल गई प्यार को मेरे
क्यों पतझड़ की धूल रे
रूठे तुम किस बात पे
मुझे ये बतइयो


कुछ भी कहा ना जाए हो
छलके बस मेरे नहीं रे
छोड़ गया मेरा साथ हो
बीच गगर में चैन रे
बन गए फूल बबुल क्यों
कोई तो समझाई यो
पिया मैंने क्या किया
मुझे छोड़ के जइयो ना


गीत : योगेश (योगेश गौड़)
संगीत : सचिन देव बर्मन
स्वर : मन्ना डे
चित्रपट : उस पार (१९७४)

मितवा मितवा मोरे मन मितवा

मितवा मितवा मोरे मन मितवा
आजा रे आजा रे आजा रे
तुझको पुकारे प्यार किसी का
आजा रे आजा रे आजा रे

रात के मुकह पर चाँद का टिका
तुझ बिन लगे फीका फीका
मितवा आजा
आजा आजा मितवा आजा
तुझको पुकारे प्यार किसी का
आजा रे आजा रे आजा रे

इक पल रोक न पाए आंसू
क्यों इतने बरसाए आंसू
कोई न जाने दुःख बदली का
ओ मितवा तुझको पुकारे
प्यार किसी का
आजा रे आजा रे

गीत : नक्श लायलपुरी
संगीत : जयदेव
गायक : मन्ना डे / वाणी जयराम
चित्रपट : परिणय (१९७४)

Wednesday, April 6, 2016

ये पर्बतों के दायरे

ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यों न छेड़ दें दिलों की दास्ताँ

ज़रा सी ज़ुल्फ़ खोल दो फ़िज़ा में इत्र घोल दो
नज़र जो बात कह चुकी वो बात मुँह से बोल दो
कि झूम उठे निगाह में बहार का समाँ
ये पर्बतों के दायरे ...

ये चुप भी एक सवाल है अजीब दिल का हाल है
हर इक ख़याल खो गया बस अब यही ख़याल है
कि फ़ासला न कुछ रहे हमारे दर्मियाँ
ये पर्बतों के दायरे ...

ये रूप रंग ये फबन चमक्ते चाँद सा बदन
बुरा न मानो तुम अगर तो चूम लूँ किरण किरण
कि आज हौसलों में है बला की गर्मियाँ
ये पर्बतों के दायरे ...

बोल : साहीर
आवाज : रफी और लता
संगीत : चित्रगुप्त
फिल्म : वासना