Thursday, February 20, 2014

दिल जो ना कह सका


दिल जो ना कह सका
वोही राज़-ए-दिल कहने की रात आई

दिल जो ना कह सका

तौबा ये किस ने अंजुमन सजा के
टुकड़े किये हैं गुंच-ए-वफ़ा के - 2
उछालो गुलों के टुकड़े
के रंगीं फ़िज़ाओं में रहने की रात आई
दिल जो ना कह सका

चलिये मुबारक ये जश्न दोस्ती का
दामन तो थामा आप ने किसी का - २
हमें तो खुशी यही है
तुम्हें भी किसी को अपना कहने की रात आई
दिल जो ना कह सका

सागर उठाओ दिल का किस को ग़म है
आज दिल की क़ीमत जाम से भी कम है - २
पियो चाहे खून-ए-दिल हो

..... साहिर लुधियानवी

गायक - मोहम्मद रफ़ी
संगीत - रोशन

के पीते पिलाते ही रहने की रात आई
दिल जो ना कह सका