Monday, August 23, 2010

कहीं एक मासूम नाज़ुकसी लडकी

कहीं एक मासूम नाज़ुकसी लडकी बहुत खुबसूरत मगर सामने से बहुत खुबसूरत

मुझे अपने ख्वाबों की बाहों मे पाकर
कभी नींद मे मुस्कुराती तो होगी
उसी नींद गर्म सांसे उठाकर
सरनेसे तकिये गिराती तो होगी कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लडकी

चलो खत लिखे जी में आता तो होगा
मगर उंगलियां कप कपाती तो होंगी
कलम हाथ से छुट जाता तो होगा
उमंगे कलम फिर उठाती तो होंगी

मेरा नाम अपनी कीताबों मे लिख कर
वोह
दातों में उन्गली दबाती तो होगी
कहीं एक मसूम नाज़ुक सी लडकी

ज़ुबां से कहीं उफ़्फ़ निकलती तो होगी
बदन धिरे धिरे सिमट ता तो होगा
कहिं पे पांओ पडते तो होंगे ज़मीं पर दुपट्टा सिसकता
तो होगा
कभी सुबह को शाम कहती तो होंगी कभी रात को दिन बताती तो होंगी कहीं एक मासूम
नाज़ुक सी लडकी बहुत खुबसूरत मगर सामने से बहुत खुबसूरत

मेरी निंदों में तुम

मेरी निंदों में तुम, मेरे ख्वाबों में तुम
हो चुके हम तुम्हारी मोहब्बत में गुम

मन कि बिना कि धुन, तु बलम आज सुन
मेरी नज़रों ने तुझ को लिया आज चुन
मन कि बिना कि धुन, तु बलम आज सुन

मेरी दिल कि लगी तु, मेरी ज़िन्दगी तु
मेरी हर नज़र है तेरी दास्ताँ

मेरे दिल कि बहारें तुम्ही को पुकारें
तुम्ही से है आबाद मेरा जहाँ

तु मेरा नाज़ है, मेरा अंदाज़ है, दिल की आवाज़ है

मेरी नींदों में तुम, मेरे ख्वाबों में तुम
हो चुके हम तुम्हारी मोहब्बत में गुम

मन कि बिना कि धुन, तु बलम आज सुन

मेरी नज़रों ने तुझ को लिया आज चुन
मन कि बिना कि धुन, तु बलम आज सुन

दिल पे छायी खुशी है लबों पर हंसी है
खिलि है तेरे प्यार कि चाँदनी
घूमती है निग़ाहें नशा छा रहा है
के दिल गा रहा है तेरी रागिनी
होले होले सजन मेरा कह्ता है मन
अब तो लागि लगन

मेरी नींदों में तुम, मेरे ख्वाबों में तुम
हो चुके हम तुम्हारी मोहब्बत में गुम
मन कि बिना कि धुन, तु बलम आज सुन

तुम मेरे हो गये हो तो ये चाँद तारे
ये सारे नज़ारे मेरे हो गये
दिल हुआ है दीवाना समा है सुहाना
कहें क्या तेरे प्यार में खो गये
रात गाने लगी गुनगुनाने लगी
नींद छाने लगी
मेरी नींदों में तुम, मेरे ख्वाबों में तुम
हो चुके हम तुम्हारी मोहब्बत में गुम
मन कि बिना कि धुन, तु बलम आज सुन

Wednesday, August 18, 2010

हे मैने कसम ली

हे मैने कसम ली, हे तूने कसम ली
नही होंगे जुदा, हम..

सांस तेरी मदिर मदिर, जैसे रजनीगंधा
प्यार तेरा मधूर मधूर, चांदनी की गंगा
नही होंगे जुदा, हम...

पा के कभी खोया तुझे, खो के कभी पाया
जनम जनम तेरे लिये, बदली हुम ने काया
नही होंगे जुदा, हम..

एक तन है, एक मन है, एक प्रान अपने
एक रंग एक रुप तेरे मेरे सपने
नही होंगे जुदा, हम..

हे मैने कसम ली,

Tuesday, August 17, 2010

ये जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा

ये जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा, तुझे है पुकारा
ये वो बंधन है जो कभी तूट नहिं सकता

मिट्टी की जो खुशबू, तु कैसे भूलायेगा
तु चाहे कहिं जाये, तु लौट के आयेगा
नयी नयी राहों में, दबी दबी आहों में
खोये खोये दिलसे तेरे, कोई ये कहेगा
ये जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा, तुझे है पुकारा
ये वो बंधन है जो कभी तूट नहिं सकता

तुझसे ज़िंदगी, है ये केह रही
सब तो पा लिया, अब है क्या कमीं
युं तो सारे सुख है बर्से
पर दूर तु है अपने घरसे
आ लौट चल तु अब दिवाने
जहां कोइ तो तुझे अपना माने
आवाज़ दे तुझे बुलाने, वहि देस
ये जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा, तुझे है पुकारा
ये वो बंधन है जो कभी तूट नहिं सकता

ये पल है वही, जिस में है छुपी
कोई एक सदी, सारी ज़िन्दगी
तु न पूछ रास्ते में काहे
आए हं इस तरह दो राहें
तु हि तो है राह जो सुझाये
तु हि तो है अब जो ये बताये
चाहे तो किस दिशा में जाये वहि देस
ये जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा, तुझे है पुकारा
ये वो बंधन है जो कभि तूट नहिं सकता

फ़ूलों के रंगसे .....

फ़ूलों के रंगसे, दिल की कलम से, तुज़ को लिखी रोज पाती
कैसे बताऊ किस किस तरह से, पल पल मुझे तू सताती

तेरे ही सपने लेकर के सोया, तेरे ही यादों में जागा
तेरे खयालों में उलझा रहा यूं जैसे के माला में धागा

बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें कई कई बार
इतना मदीर, इतना मधूर तेरा मेरा प्यार
लेना होगा जनम हुमें कई कई बार

सांसो की सरगम धडकन की बीना, सपनों की गीतांजली तू
मन की गली में महके जो हरदम ऐसी जूही की कली तू
छोटा सफ़र हो, लंबा सफ़र हो, सुनी डगर हो या मेला
याद तू आये, मन हो जाये, भीड के बीच अकेला
बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार.. ..

पूरब हो पश्चिम उत्तर हो दक्शिन तू हर जगह मुस्कुराये
जितना ही जाऊ मैं दूर तुझ से, उतनी ही तू पास आये
आंधी ने रोका, पानी ने टोका, दुनियां ने हसकर पुकारा
तसवीर तेरी लेकिन लिये मैं, कर आया सब से किनारा
बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार.. ..

शब्द: नीरज
संगीत : सचिन देव बर्मन

फ़िल्म : प्रेम पूजारी

Monday, August 9, 2010

बहारें फ़िर भी आयेंगी

बदल जाये अगर माली, चमन होता नहीं खाली
बहारें फ़िर भी आती है, बहारें फ़िर भी आयेंगी

थकन कैसी, घूटन कैसी, चल अपनी धून में दिवाने
खिला ले फ़ूल काटों मे, सजा ले अपने विराने
हवायें आग भडकाये, फ़जायें जहर बरसाये
बहारें फ़िर भी आती है, बहारें फ़िर भी आयेंगी

अंधेरे क्या, उजाले क्या, ना ये अपने ना वो अपने
तेरे काम आयेंगे प्यारे, तेरे अरमां, तेरे सपनें
जमाना तुज़ पे हो बरहुम न आये राहभर मौसम
बहारें फ़िर भी आती है, बहारें फ़िर भी आयेंगी

Saturday, August 7, 2010

अगर मुझसे मोहब्बत हैं

अगर मुझसे मोहब्बत हैं
मुझे सब अपने गम दे दो
इन आन्खों का हर एक आंसू
मुझे मेरी कसम दे दो

तुम्हारे गम को अपना गम बना लो
तो करार आये
तुम्हारा दर्द सीने में छूपा लो
तो करार आये
वोह हर शय जो
तुम्हे दुख दे
मुझे मेरे सनम दे दो

शरीक-ए-ज़िन्दगी को क्यों
शरीक-ए-गम नहीं करते
दुखों को बांटकर क्यों
इन दुखों को कम नहीं करते
तडप इस दिल की थोडी सी
मुझे मेरे सनम दे दो

इन आखों में ना अब मुझ को कभी आसू नजर आये
सदा हसती रहे आंखे
सदा ये होंठ मुसकाये
मुझे अपनी सभी आहे
सभी दर्द-ओ-अलम दे दो


फ़िल्म : आप की परछायीयां

कलाकार :

राजा मेहंदि अलि खान (बोल)
मदन मोहन (तर्ज)
लता मंगेशकर (आवाज़)