हसने की चाह ने इतना मुझे रुलाया हैं
कोई हमदर्द नहीं, दर्द मेरा साया हैं
दिल तो उलझा ही रहा, जिन्दगी की बातों में
सांसे चलती रही कभी कभी रातों में
इसी ही आह पर तारों को प्यार आया हैं
अपने चलते ही रहे रोज नयी राहों पे
कोई फ़िसला है, अभी अभी बाहों से
किसकी ये आहट हैं, ये कौन मुस्कुराया हैं
फ़िल्म : आविष्कार (१९७३)
गायक : मन्ना डे
संगीत : कनु रॉय
Tuesday, January 6, 2009
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