Monday, December 31, 2012

दिल की आवाज़ भी सुन

दिल की आवाज़ भी सुन
मेरे फ़साने पे न जा
मेरी नज़रों की तरफ़ देख
ज़माने पे न जा

इक नज़र फ़ेर ले जीने की इजाज़त दे दे
रूठने वाले वो पहली सी मुहब्बत दे दे
इश्क़ मासूम है
इलज़ाम लगाने पे न जा
मेरी नज़रों की...

वक़्त इनसान पे ऐसा भी कभी आता है
राह में छोड़ के साया भी चला जाता है
दिन भी निकलेगा कभी
रात के आने पे न जा
मेरी नज़रों की...

मैं हक़ीक़त हूँ ये इक रोज़ दिखाऊँगा तुझे
बेगुनाही पे मुहब्बत की रुलाऊँगा तुझे
दाग दिल के नहीं मिटते हैं
मिटाने पे न जा
मेरी नज़रों की...

Wednesday, December 19, 2012

ज़िन्दगी ज़िन्दगी मेरे घर आना, आना ज़िन्दगी

ज़िन्दगी ज़िन्दगी मेरे घर आना, आना ज़िन्दगी
ज़िन्दगी मेरे घर आना, आना ज़िन्दगी
ज़िन्दगी, ओ, ज़िन्दगी मेरे घर आना, आना

मेरे घर का सीधा सा इतना पता है
ये घर जो है चारों तरफ से खुला है
न दस्तक ज़रूरी न आवाज़ देना
मेरे घर का दरवाज़ा कोई नहीं हैं
है दीवारें घूम और छत भी नहीं है
बड़ी धूप है दोस्त, तेरी धूप है दोस्त
तेरे आँचल का साया चुराके जीना है जीना
जीना ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, मेरे घर आना

मेरे घर का सीधा सा इतना पता है
मेरे घर के आगे मोहब्बत लिखा है
न दस्तक ज़रूरी, न आवाज़ देना
में साँसों की रफ़्तार से जान लूंगी
हवाओं की खुशबू से पहचान लूंगी
तेरी फूल हूँ दोस्त, तेरी धुल हूँ दोस्त
तेरे हाथों में चेहरा छुपाके जीना है जीना, जीना ज़िन्दगी, ज़िन्दगी

मगर अब जो आना तो धीरे से आना,
यहाँ एक शहज़ादी सोयी हुई है
ये परियों की सपनों में खुई हुई है
बड़ी खूह है ये, तेरी रूप है ये
तेरे आँगन में, तेरे दामन में
ओ तेरी आँखों पे, तेरी पलकों पे
तेरे क़दमों में इस को बिठाके
जीना है जीना, जीना ज़िन्दगी

बोल : सुदर्शन फाकीर 
संगीत : जयदेव 
गायक : भूपिंदर - अनुराधा 

Monday, December 3, 2012

सुन्या सुन्या मैफिलीत माझ्या

सुन्या सुन्या मैफिलीत माझ्या तुझेच मी गीत गात आहे अजुन ही वाटते मला की अजून ही चांद रात आहे कळे ना मी पाहते कुणाला कळे ना हा चेहरा कुणाचा पुन्हा पुन्हा भास होत आहे तुझे हसू आरशात आहे सख्या तुला भेटतील माझे तुझ्या घरी सूर ओळखीचे उभा तुझ्या अंगणी स्वरांचा अबोल हा पारिजात आहे उगीच स्वप्नांत सावल्यांची कशास केलीस आजर्वे तू दिलेस का प्रेम तू कुणाला तुझ्याच जे अंतरात आहे गीतकार : सुरेश भट गायक : लता मंगेशकर संगीतकार : पं. हृदयनाथ मंगेशकर चित्रपट : उंबरठा

Friday, September 21, 2012

तुम से कहूं इक बात

तुम से कहूं इक बात परों से हलकी हलकी रात मेरी है छाओं तुम्हारे ही आँचल की तुम से कहूं एक बात परों से हलकी हलकी हलकी हलकी हलकी सोईं गलियाँ बांह पसारे आँखें मींचे सोईं गलियाँ बांह पसारे आँखें मींचे मैं दुनिया से दूर घनी पलकों के नीचे देखूं चलते ख्वाब लकीरों पर काजल की तुम से कहूं इक बात परों से हलकी हलकी हलकी हलकी हलकी धुंधली धुंधली रैन मिलन का बिस्तर जैसे धुंधली धुंधली रैन मिलन का बिस्तर जैसे खुलता छुपता चाँद सेज के ऊपर जैसे चलती फिरती खात हवाओं पर बादल की तुमसे कहूं इक बात परों से हलकी हलकी हलकी हलकी हलकी है भीगा सा जिस्म तुम्हारा इन हाथों में है भीगा सा जिस्म तुम्हारा इन हाथों में बाहर नींद भरा पंछी भीगी शाखों में और बरखा की बूँद बदन सी ढलकी ढलकी तुम से कहूं इक बात परों से हलकी हलकी हलकी

Thursday, September 13, 2012

असा बेभान हा वारा

असा बेभान हा वारा कुठे ही नाव मी नेऊ नदीला पूर आलेला कशी येऊ कशी येऊ ? जटा पिंजून या लाटा विखारी झेप ही घेती भिडे काळोख प्राणांना दिशांचे भोवरे होती जीवाचे पूल हे माझ्या तुझ्या पायी कशी ठेऊ ? कुळाचे लौकीकाचे मी क्षणी हे तोडिले धागे बुडाले गाव ते आता बुडाली नाव ही मागे दिले हे दान दैवाने करी माझ्या कशी घेऊ ? जगाच्या क्रूर शापांचे जिव्हारी झेलले भाले तुझे सौभाग्य ल्याया हे तुझी होऊन मी आले तुझे तू घे उरी आता किती मी हाक ही देऊ ? शब्द : मंगेश पाडगावकर संगीत : पं. हृदयनाथ मंगेशकर स्वर : लता मंगेशकर

Friday, September 7, 2012

हर तरफ अब यही अफ़साने हैं

हर तरफ अब यही अफ़साने हैं हम तेरी आँखों के दीवाने हैं हर तरफ अब यही अफ़साने हैं इतनी सच्चाई है इन आँखों में खोते सिक्के भी खरे हो जाए तू कभी प्यार से देखे जो उधर सूखे जंगल भी हरे हो जाए बाग़ बन जाए , बाग़ बन जाए जो वीराने हैं हम तेरी आँखों के दीवाने हैं हर तरफ अब यही अफ़साने हैं एक हल्का सा इशारा इनका कभी दिल और कभी जान लूटेगा किस तरह प्यास बुझेगी उसकी किस तरह उसका नशा टूटेगा जिसकी किस्मत में , जिसकी किस्मत में ये पैमाने हैं हम तेरी आँखों के दीवाने हैं हर तरफ अब यही अफ़साने हैं नीची नजरो में हैं कितना जादू हो गए पल में कई ख्वाब जवाँ कभी उठने कभी झुकने की अदा ले चली जाने किधर जाने कहाँ रास्ते प्यार के , रास्ते प्यार के अनजाने हैं हम तेरी आँखों के दीवाने हैं -2 हर तरफ अब यही अफ़साने हैं तर्ज : मदन मोहन कलाम : कैफ़ी आजमी आवाज : मन्ना डे

Friday, February 3, 2012

क्या जानू सजन

क्या जानू सजन , होती है क्या ग़म की शाम . .
जल उठे सौ दीये , जब लिया तेरा नाम ..
क्या जानू सजन ....

काँटों में मै खड़ी नैनो के द्वार पैर ..
निस दिन बहार के देखू सपने ..
चेहरे की धुल क्या चंदा के चांदनी ..
उतरी तो रह गयी मुख पे अपनी ..

जब से मिली नजर माथे पे बन गए ..
बिंदिया नयन तेरे देखो सजना ..
धर ली जो प्यार से मेरी कलाइयाँ ..
पिया तेरी उंगलिया हो गयी कंगना ..

क्या जानू सजन , होती है क्या ग़म की शाम ..
जल उठे सौ दीये , जब लिया तेरा नाम .. क्या जानू सजन ....

चित्रपट : बहारों के सपने (१९६७)
गीत : मजरूह सुलतानपुरी
संगीत : राहुल देव बर्मन
गायिका : लता मंगेशकर

Thursday, January 19, 2012

नैन हमारे सांझ सकारे

नैन हमारे सांझ सकारे
देखें लाखों सपने
सच ये कहीं
होंगे या नहीं
कोई जाने न
कोई जाने न
यहाँ

चलते रहें डगर पे गम की जीनके वास्ते
छलते रहें दिलों को अजनबी से रास्ते
सदियों से छाये , ये जो सपनों के साए
सच ये कहीं ...

मन ये कहे दुखी न हो ग़मों से हार के
लिखते रहे जो आंसुओं से गीत प्यार के
गीत वो चाहे रोए कोई हंस के गाये
सच ये कहीं ...

सुनते रहे बहारों की जो रोज़ आहटें
चुनते रहे लबों पे हम तो मुस्कुराहटें
दिल में दबाये लाखों अरमां जो हाय
सच ये कहीं ...

फिल्म : अन्नदाता (१९७२)
गायक : मुकेश
संगीत : सलिल चौधरी
गीत : योगेश गौड़