Friday, February 3, 2012

क्या जानू सजन

क्या जानू सजन , होती है क्या ग़म की शाम . .
जल उठे सौ दीये , जब लिया तेरा नाम ..
क्या जानू सजन ....

काँटों में मै खड़ी नैनो के द्वार पैर ..
निस दिन बहार के देखू सपने ..
चेहरे की धुल क्या चंदा के चांदनी ..
उतरी तो रह गयी मुख पे अपनी ..

जब से मिली नजर माथे पे बन गए ..
बिंदिया नयन तेरे देखो सजना ..
धर ली जो प्यार से मेरी कलाइयाँ ..
पिया तेरी उंगलिया हो गयी कंगना ..

क्या जानू सजन , होती है क्या ग़म की शाम ..
जल उठे सौ दीये , जब लिया तेरा नाम .. क्या जानू सजन ....

चित्रपट : बहारों के सपने (१९६७)
गीत : मजरूह सुलतानपुरी
संगीत : राहुल देव बर्मन
गायिका : लता मंगेशकर