Thursday, August 21, 2008

ये दिल तुम बीन ......

ये दिल तुम बीन कहिं लगता नहीं हम क्या करें -१
तसव्वुर में कोई बसता नहीं हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ जान-ए-वफ़ा हम क्या करें

लुटे दिल में दिया जलता नही हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ जान-ए-अदा हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या करें

किसी के दिल में बस के दिल को तडपाना नहीं अच्छा - २
निगाहों को छलकते देखके छुप जाना नही अच्छा,
उम्मिदों के खिले गुलशन को झुलसाना नही अच्छा
हमें तुम बिन कोई जचता नहीं हम क्या करें,
तुम्ही कह दो अब अए जान-ए-वफ़ा हम क्या करें
लुटे दिल में दिया जलता नहीं हम क्या करें

मोहब्बत कर तो ले लेकिन मोहब्बत रास आये भी- २
दिलों को बोझ लगते है कभि ज़ुल्फ़ों के साये भी
हज़ारों गम हैं इस दुनिया में अपने भी पराये भी
मुहब्बत ही का गम तन्हा नही हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ जान-ए-अदा हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहिं लगता नहीं हम क्या करे

बुझा दो आग दिल कि या इसे खुल कर हवा दे दो - २
जो इसका मोल दे पाये उसे अपनि वफ़ा दे दो
तुम्हारे दिल में क्या है बस हमें इतना पता दे दो,
के अब तन्हा सफ़र कटता नहीं हम क्या करें
लुते दिल में दिया जलता नहीं हम क्या करें
ये दिल तुम बीन कहिं लगता नहीं हम क्या करे

शायर : साहिर
गायक : रफ़ी और लता
संगीत : लक्ष्मिकांत प्यारेलाल
फ़िल्म : इज़्ज़त

Wednesday, August 13, 2008

भारत हमको जान से प्यारा है.....

भारत हमको जान से प्यारा है
जबसे न्यारा गुलिस्तां हमारा है
सदियों से भारत भूमी दुनिया की शान है
भारत मां की रक्षा में जीवन कुर्बान है
भारत हमको जान से प्यारा है
जबसे न्यारा गुलिस्तां हमारा है

उजडे नहिं अपना चमन
टूटे नहिं अपना वतन
मंदिर यहां
मस्जिद यहां
हिंदु यहां
मुस्लिम यहां
मिलके रहें हम प्यार से
जागो ......

हिन्दुस्तानि नाम हमारा है
सबसे प्यारा देश हमारा है
ज़न्मभूमी है हमारी शान से कहेंगे हम
सब ही तो भाइ भाइ प्यार से रहेंगे हम
हिन्दुस्तानी नाम हमारा है
सबसे प्यारा देश हमारा है

आसाम से गुजरात तक
बंगाल से महाराष्ट्र तक
ज़ाति कईं हम एक हैं
भाषा कईं सुर एक है
कश्मिर से मद्रास तक
कह दो सभी हम एक हैं
आवाज़ दो हम एक हैं
ज़ागो .................


गीत : मेहबूब
सन्गीत : ए. आर. रेहमान
फ़िल्म : रोजा
गायक : हरिहरन

Monday, August 11, 2008

कहीं दूर ज़ब

कहीं दूर ज़ब दिन ढल जाए
सांझ कि दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे खयालों के आंगन में
कोइ सपनों के दीप ज़लाए

कभी युं ही जब हुइ बोझल सांसें
भर आइ बैठे बैठे जब युं ही आंखें
कभी मचल के प्यार से चल के
छुए कोइ मुझे पर नज़र न आए
कहीं दूर...

कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
कहीं पे निकल आए जनमों के नाते
थमी थी उल्झन बैरी अपना मन
अपना ही होके सहे दर्द पराये
कहीं दूर...

गीतकार : योगेश
संगीत : सलिल चौधरी
गायक : मुकेश
फ़िल्म : आनंद

Saturday, August 9, 2008

ज़ाग दिल-ए-दीवाना ...

ज़ाग दिल-ए-दीवाना
रुत जागी
वसल-ए-यार की
बसी हुइ ज़ुल्फ़ में
आयी है सबाह प्यार कि
ज़ाग दिल-ए-दीवाना...

दो दिल के कुछ लेके पयाम आयी है
चाहत के, कुछ लेके सलाम आयी है
दर पे तेरे सुबह खडी
खोयी है दीदार कि
जाग दिल-ए-दीवाना...

एक परी, कुछ शाद सी नाशाद सी
बैठी हुयी, शबनम में तेरी याद की
भीग रहीं होगी कहीं
कलि सि गुलज़ार कि
ज़ाग दिल-ए-दीवाना...

ए मेरे दिल, अब ख्वाबों से मूह मोड ले
बीति हुयी, सब रातें येही छोड दे
तेरे तो दिन रात हैं
अब आन्खों में दिलदार की
जाग दिल-ए-दीवन.....

फ़िल्म : ऊंचे लोग
गायक : महम्मद रफ़ी
संगीत : चित्रगुप्त

ज़ाग दिल-ए-दीवाना ...

ज़ाग दिल-ए-दीवाना
रुत जागी
वसल-ए-यार की
बसी हुइ ज़ुल्फ़ में
आयी है सबाह प्यार कि
ज़ाग दिल-ए-दीवाना...

दो दिल के कुछ लेके पयाम आयी है
चाहत के, कुछ लेके सलाम आयी है
दर पे तेरे सुबह खडी
खोयी है दीदार कि
जाग दिल-ए-दीवाना...

एक परी, कुछ शाद सी नाशाद सी
बैठी हुयी, शबनम में तेरी याद की
भीग रहीं होगी कहीं
कलि सि गुलज़ार कि
ज़ाग दिल-ए-दीवाना...

ए मेरे दिल, अब ख्वाबों से मूह मोड ले
बीति हुयी, सब रातें येही छोड दे
तेरे तो दिन रात हैं
अब आन्खों में दिलदार की
जाग दिल-ए-दीवन.....

फ़िल्म : ऊंचे लोग
गायक : महम्मद रफ़ी
संगीत : चित्रगुप्त

Saturday, August 2, 2008

रंजिश ही सही ....

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ
आ फिर सय मुझे छोड के जाने कय लिये आ

अब तक दिल-ए-खुश-फ़ेहम को तुझ से हैं उम्मीदैं
ये आखरी शम्माएं भी बुझाने के लिये आ

पेहले से मरासिम न सहि फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रहाय दुनिया की निभाने के लिये आ

किस किस को बताएंगे जुदाइ का सबब हम
तु मुझ से खफ़ा है तो ज़माने के लिये आ

कुछ तो मेरी पिन्दार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तु भी तो कभी मुझ को मनाने के लिये आ

एक उम्र से हुं लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी मेहरूम
एय राहत-ए-जान मुझ को रुलाने कय लिये आ

Friday, August 1, 2008

माझिया प्रियाला ....

माझिया प्रियाला, प्रीत कळेना
अनुराग त्याचा माझा, हाय रे जुळेना

पावसात भिजतो श्रावण, सुखाचा महीना
आवरू मनाला कैसे, मला ते जमेना
मुकी नेत्रभाषा त्याला, कळूनी वळेना

यौवनात सुकते काया, दुःख आवरेना
वेदना उरीची छेडी मुक्या भावनांना
स्पर्श गोड अजुनी त्याचा, सुखाचा मिळेना

वसंतात नाही बोले, श्रावणात नाही
कठोरास माझ्या मनिचे, कळेनाच काही
रात रात शिणती डोळे, पापणी ढळेना


गीत - उमाकांत काणेकर
संगीत - श्रीकांत ठाकरे
स्वर - शोभा गुर्टू
राग - मिश्र हेमंत, पहाडी, ठुमरी

Wednesday, July 30, 2008

याद न जाए .....

आज ३१ जुलै रफ़ी जी को गुजरे 28 साल बीत चुके. शायद हि ऐसा कोइ दिन हो कि आपने गाया हुइ कोइ नगमा गुनगुनाया न हो..... हर मौसम ... हर मूड ... हर दिन .... सलाम रफ़ी जी .... शैलेंद्र जी के ये लब्ज हम सभी कि भावनाएं अभिव्यक्त कर रही है....

याद न जाए, बीते दिनों की
जाके न आये जो दिन, दिल क्यूँ बुलाए, उन्हें
दिल क्यों बुलाए
याद न जाये ...

दिन जो पखेरू होते, पिंजरे में मैं रख देता - २
पालता उनको जतन से
पालता उनको जतन से, मोती के दाने देता
सीने से रहता लगाए
याद न जाए ...

तस्वीर उनकी छुपाके, रख दूँ जहां जी चाहे - २
मन में बसी ये सूरत
मन में बसी ये सूरत, लेकिन मिटे न मिटाए
कहने को है वो पराए
याद न जाए ...

शायर : शैलेंद्र
संगीत : शंकर जयकिशन
चित्रपट : दिल एक मंदिर
गायक : महम्मद रफ़ी

Tuesday, July 29, 2008

दिल की आवाज़ भी सुन ....

दिल की आवाज़ भी सुन मेरे फ़साने पे ना जा
मेरी नज़रों की तरफ़ देख ज़माने पे ना जा

इक नज़र देख ले, जीने की इजाज़त दे दे
रूठने वाले वोह पहली सी मोहब्बत दे दे
इश्क़ मासूम है, इल्ज़ाम लगाने पे ना जा
मेरी नज़रों की तरफ़ देख ज़माने पे ना जा

वक़्त इन्सान पे ऐसा भी कभी आता है
राह में छोड के साया भी चला जाता है
दिन भी निकलेगा कभी, रात के आने पे ना जा
मेरी नज़रों की तरफ़ देख ज़माने पे ना जा


मैं हक़िकत हूं, ये इक रोज़ दिखाऊंगा तुझे
बेगुनाही पे मोहब्बत की रुलाऊंगा तुझे
दाग दिल के नहीं मिटतें हैं, मिटाने पे ना जा
मेरी नज़रों की तरफ़ देख ज़माने पे ना जा


फ़िल्म: हम साया
संगीत : ओ. पी. नय्यर
गायक : महम्मद रफ़ी

Monday, July 28, 2008

तेरी आंखों की चाहत में......

तेरी आंखों की चाहत में तो मैं सब कुछ लुटा दूंगा
मोहब्बत कैसे की जाती है दुनियां को दिखा दूंगा

तेरे नाजूक हसीन कदमों के नीचे हमसफ़र मेरे
जहां होगा कोई कांटा, वहां मै दिल बिछा दूंगा

तमन्ना हैं के रोशन हो, तेरी दुनियां, तेरी महफ़िल
उजाला मिल सके तुझ को, तो मैं घर भी जला दूंगा

बहार और चीज क्या हैं फ़ूल कलियां किस को कहते है
लहू मेरा सलामत मैं, तेरा जीवन सजा दूंगा

फ़िल्म : जनता हवालदार ( इस नाम कि फ़िल्म थी)
संगीत : राजेश रोशन
गायक: अन्वर
शायर : मजरूह सुलतानपुरी

Friday, July 25, 2008

अजनबी तुम जाने पेह्चाने से.....

अजनबी तुम जाने पेह्चाने से लगते हो -२
ये बडी अजीब सी बात है
ये नयी नयी मुलाक़ात है
फिर भी जाने क्यों
अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो

तुमने कभी प्यार किया था किसी राही से -२
तुमने कभी वादा किया था किसी साथी से
न वो प्यार रहा, न वो बात रही
फिर भी जाने क्यों
अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो
अजनबी

दिल में रहें और हमारा दिल तोड दिया -२
साथ चले, मोड पे आके हमें छोड दिया
तुम हो कहीं, और हम कहीं
फिर भी जाने क्यों
अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो
ये बदि अजीब सी बात है
ये नयी नयी मुलाक़ात है
फिर भी जाने क्यों
अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो
अजनबी..

फ़िल्म : हम सब ऊस्ताद है
गायक : किशोर कुमार

Thursday, July 24, 2008

मन रे तु काहे न .....

मन रे तु काहे न धीर धरे
ओ निर्मोही मोह न जाने जिनका मोह करे
मन रे तु काहे न धीर धरे

इस जीवन की चढती धलती
धूप को किस ने बांधा
रंग पे किअस ने पेहरे डाले
रूप को किस ने बांधा
काहे ये जतन करे
मन रे तु काहे न धीर धरे

उतना हि उपकार समझ कोइ
जितना साथ निभा दे
जनम मरन का मेल है सपना
ये सपना बिसरा दे
कोइ न संग मरे
मन रे तु काहे न धीर धरे
ओ निर्मोही मोह न जाने जिनका मोह करे
हो मन रे तु काहे न धीर धरे

चित्रपट : चित्रलेखा
गायक : महम्मद रफ़ी
संगीत : रोशन
बोल: साहिर लुधयानवी

किसिकी मुस्कुराहटों पे ....

किसिकी मुस्कुराहटों पे हो निसार
किसिका दर्द मिल सके तो ले उधार

किसिके वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
जिना इसि का नाम है

मान अपनि जेब से फ़कीर हं
फिर भी यारों दिल के हम अमीर हैं

मिटे जो प्यार के लिये वोह ज़िन्दगी
जले बहार के लिये वोह ज़िन्दगी
किसि को हो न हो हमें तो ऐतबार
जिना इसि का नाम है

रिश्ता दिल से दिल के ऐतबार का
ज़िन्दा है हमीं से नाम प्यार का
के मर के भी किसि को याद आयेंगे
किसि के आंसुओं में मुस्कुरायेंगे

कहेगा फूल हर कली से बार बार
जीना इसि का नाम है

किसिकी मुस्कुराहटों पे हो निसार..

Tuesday, July 22, 2008

ही वाट दूर जाते ....

ही वाट दूर जाते, स्वप्नामधील गावा
माझ्या मनातला का तेथे असेल रावा ?

जेथे मिळे धरेला आभाळ वाकलेले
अस्ताचलास जेथे रविबिंब टेकलेले
जेथे खुळ्या ढगांनी रंगीन साज ल्यावा

घे साउली उन्हाला कवळून बाहुपाशी
लागुन ओढ वेडी खग येति कोटरासी
एक एक चांदणीने नभदीप पाजळावा

स्वप्नामधील गावा स्वप्नामधून जावे
स्वप्नातल्या प्रियाला मनमुक्त गीत गावे
स्वप्नातल्या सुखाचा स्वप्नीच वेध घ्यावा



गीत - शांता शेळके
संगीत - पं. हृदयनाथ मंगेशकर
स्वर - आशा भोसले

Monday, July 21, 2008

का रे दुरावा, का रे अबोला ....

का रे दुरावा, का रे अबोला
अपराध माझा, असा काय झाला

नीज येत नाहि, मला एकटिला
कुणि न विचारि, धरि हनुवटीला
मान वळविशी तु, वेगळ्या दिशेला ....

तुझ्या वाचुनि ही, रात जात नाही
जवळी जरा ये, हळु बोल काही
हात चांदण्यांचा, घेई उशाला ....

रात जागवावी नाही, असे आज वाटे
तृप्त झोप यावी, पहाटे पहाटे
नको जगणे हे, नको स्वप्नमाला .....

गीत : शब्दप्रभू ग.दि. माडगुळकर
संगीत : सुधीर फडके
गायिका : आशाताई (दूसरं कोण गाणार हे?)

पाऊस कधीचा पडतो ...

पाऊस कधीचा पडतो, झाडांची हलती पाने
हलकेच जाग मज आली, दु:खाच्या मंद सुराने.

डोळ्यात उतरले पाणी, पाण्यावर डोळे फिरती
रक्ताचा उडला पारा, या नितळ उतरणीवरती.

पेटून कशी उजळेना, ही शुभ्र फुलांची ज्वाला
ताऱ्यांच्या प्रहरापाशी पाऊस असा कोसळला.

संदिग्ध घरांच्या ओळी आकाश ढवळतो वारा
माझ्याच किनार्‍यावरती लाटांचा आज पहारा.


गीत - ग्रेस
संगीत - यशवंत देव
स्वर - पद्मजा फेणाणी

Sunday, July 20, 2008

तुम बिन जाऊं कहां ...

तुम बिन जाऊं कहां, तुम बिन जाऊं कहां
कि दुनिया में आ के कुछ न फिर
चाहा कभी तुमको चाहके तुम बिन

रह भी सको गे कैसे, हो के मुझसे जुदा
फट जाये गी दीवारें सुन के मेरी सदा
आना होगा तुम्हे मेरे लिये
साथी मेरी सुनी राह के
तुम बिन जाऊं कहां..

कितनी अकेली सी पेहले थी यहि दुनिया
तुमने नज़र जो मिलायी बस गयी दुनिया
दिल को मिलि जो तुम्हारी लगन
दिये जल गये मेरी आह से
तुम बिन जाऊं कहां..

फ़िल्म : प्यार का मौसम
गायक : किशोर कुमार

Friday, July 18, 2008

सोच के ये गगन झूमे

सोच के ये गगन झूमे अभी चान्द निकल आयेगा
झिलमिल चमकेंगे तारें सोच के ये गगन झूमे

चान्द जब निकल आयेगा देखेगा न कोई गगन को
चान्द को हि देखेंगे सारे चांद जब निकल आयेगा

फूल जो खिले न तो कैसे, बागो में आये बहार
दिप न जले तो सांवरिय कैसे मिटे अंधकार
रात देखो कितनि है काली अभि चांद निकल ...

चांद से भी तुम हसीं हो, नज़दीक आओ ज़रा
चांद के निकलने तलक तो, तुम जगमगाओ ज़रा
रात देखो कितनि है काली अबी चांद निकल ...

Wednesday, July 16, 2008

हर तरफ़ अब यही अफ़साने हैं.....

हर तरफ़ अब यही अफ़साने हैं
हम तेरी आंखो के दिवाने हैं
हर तरफ़ अब यही अफ़साने हैं…

इतनी सच्चाई हैं इन आंखो में
खोटे सिक्के भी खरे हो जाये
तु कभी प्यार से देखे जो उधर
सुखे जंगल भी हरे हो जाये
बाग बन जाये, बाग बन जाये जो विराने हैं
हम तेरी आंखो के दिवाने हैं
हर तरफ़ अब यहि अफ़साने हैं…

एक हल्का सा इशारा इनका
कभि दिल और कभि जां लूटेगा
किस तरह प्यास बुझेगी उसकि
किस तरह उसका नशा टूटेगा
ज़िसकि क़िस्मत में, जिसकि क़िस्मत में ये पैमाने हैं
हम तेरि आंखो के दिवाने हैं
हर तरफ़ अब यहि अफ़साने हैं…

निची नज़रों में हैं कितना जादु
हो गये पल में कयीं ख्वाब जवां
कभि उठने कभि झुकने कि अदा
ले चलि जाने किधर जाने कहां
रास्ते प्यार के, रास्ते प्यार के अंजाने हैं
हम तेरि आंखो के दिवाने हैं -२
हर तरफ़ अब यहि अफ़साने हैं…

गीत : कैफ़ी आज़मी
संगीत : मदन मोहन
गायक : मन्ना डे
फ़िल्म : हिंदुस्तान की कसम

Tuesday, July 15, 2008

होके मजबूर मुझे .....

होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जानके खाया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर मुझे ......

दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाये होंगे
अश्क़ आंखों ने पिये और न बहाये होंगे
बन्द कमरे में जो खत मेरे जलाये होंगे
एक एक हर्फ़ जबिं पर भर आया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर मुझे ......

उसने घबराके नज़र लाख बचायी होगि
दिल कि लुटति हुयी दुनिया नज़र आयी होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटायी होगि -२

हाय..

हर तरफ़ मुझको तडपता हुआ पाया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर मुझे

छेड कि बात पे अर्मान मचल आये होन्गे
गम दिखावे कि हंसि में उबल आये होंगे
नाम पर मेरे जब आन्सू निकल आये होंगे

सर न कांधे से सहेलि के उठाया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर मुझे .....

ज़ुल्फ़ ज़िद करके किसि ने जो बनायी होगी
और भि ग़म कि घटा मुखडे पे छायी होगी
बिजलि नज़रों ने कई दिन न गिरायी होगि
रंग चेहरे पे कई रोज़ न आया होगा

होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जानके खाया होगा
होके मजबूर मुझे ....

फ़िल्म : हकीकत
संगीत : मदन मोहन
गयक : रफ़ी, तलत, मन्ना डे, भुपिन्दर

हे मैने कसम ली ...

हे मैने कसम ली, हे तूने कसम ली
नही होंगे जुदा, हम

सांस तेरी मदिर मदिर, जैसे रजनीगंधा
प्यार तेरा मधूर मधूर, चांदनी की गंगा
नही होंगे जुदा, हुम

पा के कभी खोया तुझे, खो के कभी पाया
जनम जनम तेरे लिये, बदली हम ने काया
नही होंगे जुदा, हम

एक तन है, एक मन है, एक प्राण अपने
एक रन्ग एक रुप तेरे मेरे सपने
नही होंगे जुदा, हम


चित्रपट : तेरे मेरे सपने
गायक : किशोर कुमार / लता मंगेशकर

Sunday, July 13, 2008

हम प्यार में जलनेवालों को

हम प्यार में जलनेवालों को
चैन कहां, हाए, आराम कहां
हम प्यार में जलनेवालों को .....

प्रीत कि अंधियारी मन्ज़िल में, चारों ओर सियाहि
आधी राह में हि रुक जाये, इस मन्ज़िल का राहि
कान्टों पर चलनेवालों को, चैन कहां, हाए, आराम कहां
हम प्यार में जलनेवालों को .......

बहलाये जब दिल न बहले, तो ऐसे बहलायें
गम हि तो है प्यार कि दौलत, ये कहकर समझायें
अपना मन छलनेवालों को, चैन कहां, हाय, आराम कहां
हम प्यार में जलनेवालों को .....

चित्रपट : जेलर
गायिका: लता मंगेशकर
संगीत : मदन मोहन
शयर : राजेन्द्र क्रिश्न

Friday, July 11, 2008

बेदर्दी बालमा तुझको .....

बेदर्दी बालमा तुझको मेरा मन याद करता है
बरसता है जो आन्खों से वो सावन याद करता है

कभी हम साथ गुज़रे जिन सजिली रेहगुज़ारों से
फ़िज़ा के बेस में गिरते हैं अब पत्ते चनारों से
ये राहें याद करती हैं ये गुलशन याद करता है
बेदर्दी बालमा तुझको......

कोइ झोंका हवा क जब मेरा आंचल उडाता है
गुमां होत है जैसे तु मेरा दामन हिलाता है
कभि चूमा था जो तूने वो दामन याद करता है
बेदर्दी बालमा तुझको ........

वो हि हैं झील के मन्दर वो हि किरणों कि बरसातें
जहान हम तुम किय करते थे पहरों प्यार कि बातेइन
तुझे इस झील का खामोश दर्पन याद करता है
बेदर्दी बालमा तुझको .......

गीतकार :हसरत जयपुरी
गायक :लता मंगेशकर
संगीतकार :शंकर जयकिशन
चित्रपट :आरजू - १९६५

मालवून टाक दीप

मालवून टाक दीप चेतवून अंग-अंग !
राजसा किती दिसांत लाभला निवांत संग !

त्या तिथे फुलाफुलात,
पेंगते अजून रात;
हाय तू करू नकोस एवढ्यात स्वप्नभंग !

गारगार या हवेत,
घेउनी मला कवेत
मोकळे करून टाक एकवार अंतरंग !

दूरदूर तारकात
बैसली पहाट न्हात
सावकाश घे टिपून एक एक रूपरंग !

हे तुला कसे कळेल ?
कोण एकटे जळेल ?
सांग, का कधी खरेच एकटा जळे पतंग ?

काय हा तुझाच श्वास ?
दर्वळे इथे सुवास !
बोलरे हळू उठेल चांदण्यावरी तरंग !


गीत - सुरेश भट
संगीत - पं. हृदयनाथ मंगेशकर
स्वर - लता मंगेशकर

Wednesday, July 9, 2008

तुमसे बिछडके चैन कहां हम पाएंगे

तुमसे बिछडके चैन कहां हम पाएंगे
होगे जहान तुम हुम भि वहीं आ जायेन्गे
पूछो क्यूं, हां हां हां हां
पूछो क्यूं
हम यह कहेंगे
के तुम हो हमारी मन्ज़िल - २
तुमसे बिछड्के चैन कहां हम पाएंगे
दिल हमें लाया यहन हम आ गये - २
देखकर तुम हमको क्यूं घबरा गये
राज़ तुम हम्राज़ दा साथ जैसे जिस्म-ओ-जान
छुपके जाओगे कहां
नज़रें चुराओगे और नज़र हम आयेन्गे
हम आयेन्गे, हम आयेन्गे
तुमसे बिछडके चैन कहां हम पाएंगे
कितना दिलकश है ये रूहों का सफ़र
पाव कान्टों पर है फूलों पर नज़र
दर है क्या दीवार क्या, जीत क्या है हार क्या
रुक सकेगा प्यार क्या
फूल तो क्या है, कांटों को हम महेकायेंगे
महेकायेंगे, महेकायेंगे
तुमसे बिछडके चैन कहां हम पायेंगे
नाम होन्ठों पर तुम्हारा दिल में प्यार - २
बस यहि सज धज यहिं अपना सिंगार
ज़िन्दगि तुमसे हसीन तुम कहिं और हम कहिं
दिल खिलौना तो नहीं
तुम हि बता दो कैसे इसे बेहलाएंगे
बेहलाएंगे, बेहलाएंगे
तुमसे बिछडके चैन कहां हम पाएंगे
होगे जहां तुम हम भी वहिं आ जाएंगे
पूछो क्यूं, हां हां हां हां
पूछो क्यूं हम ये कहेन्गे
के तुम हो हमारी मन्ज़िल
तुम्से बिछडके चैन कहां हम पायेन्गे

चित्रपट : महाराजा
संगीत : मदन मोहन
गायिका : लता मंगेशकर

तुम पुकार लो .....

तुम पुकार लो, तुम्हारा इंतज़ार है, तुम पुकार लो
ख्वाब चुन रही है रात बेक़रार है
तुम्हारा इन्तज़ार है, तुम पुकार लो ....

(होंठ पे लिये हुए दिल कि बात हम
ज़ागते रहेंगे और कितनी रात हम) -२
मुक़्तसर सी बात है तुम से प्यार है
तुम्हारा इन्तज़ार है, तुम पुकार लो ....

(दिल बहल तो जायेगा इस खयाल से
हाल मिल गय तुम्हारा अपने हाल से) -२
रात ये क़रार कि बेक़रार है
तुम्हारा इन्तज़ार है ......


चित्रपट : खामोशी
गायक/संगितकार : हेमंत कुमार
गीत : गुलज़ार

Saturday, July 5, 2008

यहि वह जगह है .....

यहि वह जगह है
यहि वह फ़िज़ायें
यहिं पर कभी आप हमसे मिले थे

इन्हे हम भला किस तरह भूल जाये
यहि पर कभि आप हमसे मिले थे

यहि पर मेरा हाथ में हाथ लेकर
कभि ना बिछडने का वाद किया था
सदा के लिये हो गये हम तुम्हारे
गले से लगाकर हमें येह कहा था
कभि कम ना होंगि हमरि वफ़ायें
यहि पर कभि आप हम्से मिले थे

यहि पर वफ़ा क नय रंग भर के
बनाई थी चाहत कि तसवीर तुमने
यहि के बहारों से
फ़ूलों को चुन कर
सवारी थी उल्फ़त कि तकदीर तुमने
वोह दिन आपको याद कैसे दिलाये
यहि पर कभि आप हुमसे मिले थे

यहि वह जगाह है........

चित्रपट : यह रात फिर ना आयेगी
संगीत : ओन्कार प्रसाद नय्यर (OP) with great interludes on saxophone by the maestro Manohari Singh

यहि वह जगह है .....

यहि वह जगह है
यहि वह फ़िज़ायें
यहिं पर कभी आप हमसे मिले थे

इन्हे हम भला किस तरह भूल जाये
यहि पर कभि आप हमसे मिले थे

यहि पर मेरा हाथ में हाथ लेकर
कभि ना बिछडने का वाद किया था
सदा के लिये हो गये हम तुम्हारे
गले से लगाकर हमें येह कहा था
कभि कम ना होंगि हमरि वफ़ायें
यहि पर कभि आप हम्से मिले थे

यहि पर वफ़ा क नय रंग भर के
बनाई थी चाहत कि तसवीर तुमने
यहि के बहारों से
फ़ूलों को चुन कर
सवारी थी उल्फ़त कि तकदीर तुमने
वोह दिन आपको याद कैसे दिलाये
यहि पर कभि आप हुमसे मिले थे

यहि वह जगाह है........

चित्रपट : यह रात फिर ना आयेगी
संगीत : ओन्कार प्रसाद नय्यर (OP) with great interludes on saxophone by the maestro Manohari Singh

नैना बरसे रिमझिम रिमझिम

नैना बरसे रिमझिम रिमझिम
पिया तोरे आवन की आस

वो दिन मेरी निगाहोन में, वो यादें मेरी आहों में
ये दिल अबतक भटकता हैं, तेरी उल्फ़त की राहो में
सुनी सुनी राहें, सहमी सहमी बाहें
आन्खों में हैं बरसों की प्यास

नजर तुज़ बीन मचलती हैं, मोहब्बत हाथ मलती हैं
चला आ मेरे परवाने, वफ़ा की शम्मा जलती हैं
ओ मेरे हमराही, फ़िरती हू घबरायी
जहा भी हैं आ जा मेरे पास

अधूरा हू मैं अफ़साना, जो याद आऊ चले आना
मेरा जो हाल हैं तुज़ बीन वो आकर देख के जाना
भीगी भीगी पलकें, छम छम आंसू छलकें
खोयी खोयी आन्खे है उदास

ये लाखों गम ये तनहाई, मोहब्बत की ये रुसवाई
कटी ऐसी कई रातें, ना तुम आये ना मौत आयी
ये बिन्दीयां का तारा, जैसे हो अंगारा
मेहन्दी मेरे हाथों की उदास

चित्रपट : वह कौन थी?
वर्ष : १९६४
सन्गीत : मदन मोहन
गीत : राजा मेहंदि अली खान
नैना बरसे रिमझिम रिमझिम
पिया तोरे आवन की आस

वो दिन मेरी निगाहोन में, वो यादें मेरी आहों में
ये दिल अबतक भटकता हैं, तेरी उल्फ़त की राहो में
सुनी सुनी राहें, सहमी सहमी बाहें
आन्खों में हैं बरसों की प्यास

नजर तुज़ बीन मचलती हैं, मोहब्बत हाथ मलती हैं
चला आ मेरे परवाने, वफ़ा की शम्मा जलती हैं
ओ मेरे हमराही, फ़िरती हू घबरायी
जहा भी हैं आ जा मेरे पास

अधूरा हू मैं अफ़साना, जो याद आऊ चले आना
मेरा जो हाल हैं तुज़ बीन वो आकर देख के जाना
भीगी भीगी पलकें, छम छम आंसू छलकें
खोयी खोयी आन्खे है उदास

ये लाखों गम ये तनहाई, मोहब्बत की ये रुसवाई
कटी ऐसी कई रातें, ना तुम आये ना मौत आयी
ये बिन्दीयां का तारा, जैसे हो अंगारा
मेहन्दी मेरे हाथों की उदास

चित्रपट : वह कौन थी?
वर्ष : १९६४
सन्गीत : मदन मोहन
गीत : राजा मेहंदि अली खान

लग जा गले ...........

लग जा गले के फ़िर ये, हसीन रात हो ना हो
शायद फ़िर इस जनम मे, मुलाकात हो ना हो

हम को मिली हैं आज ये घडीयां नसीब से
जी भर के देख लिजिये, हम को करीब से
फ़िर आप के नसिब मे, ये बात हो ना हो
शायद फ़िर इस जनम मे, मुलाकात हो ना हो

पास आईये के हम नहीं आयेंगे बार बार
बाहे गले में डाल के, हम रो ले जार जार
आखों से फ़िर ये, प्यार की बरसात हो ना हो
शायद फ़िर इस जनम मे, मुलाकात हो ना हो

चित्रपट : वह कौन थी
वर्ष : १९६४
सन्गीत : मदन मोहन
गीत : राजा मेहंदि अली खान

कही करती होगी, वो मेरा इन्तजार

कही करती होगी, वो मेरा इन्तजार जिसकी तमन्ना में, फ़िरता हूं बेकरार

दूर जुल्फ़ों की छांवों से, कहता हूं ये हवाओं से
उसी बूत की अदाओं के अफ़साने हजार
वो जो बाहों में मचल जाती, हसरत ही निकल जाती
मेरी दुनियां बदल जाती, मिल जाता करार

अरमां हैं कोई पास आये, इन हाथों में वो हाथ आये
फ़िर ख्वाबों की घटा छये, बरसाये खूमार
फ़िर उन ही दिनरातों पे, मतवारी मुलाकातों पे
उल्फ़त भरी बातों पे, हम होते निसार

Songs are remembered but not the Lyricist

Film songs are integral part of our life. The 50's were ruled by stalwart musicians like Naushad, SD Burman, MadanMohan, Roshan, C.Ramchandra, the 60's introduced famed duos like Shankar-Jaikishan, Laxmikant Pyarelal and Kalyanji Anandji. Also the firebrand OP. The seventies had fresh air to the music with the greatly talented RD "Pancham" Burman. The 80's brought us Amitabh Bachhan and with him ruling real music was pushed back save for rare gems from RD in the early genre of AB's films. It was only in the late nineties that AR Rehman entered the scene and brought melody back in reckoning.

Whenever we remember the great music directors we remember some of them by their association with their pet singers like Naushad-Rafi, RD-Kishor, SJ-Mukesh, OP-Asha and MM-Lata combination.

We all like to sing when alone. We hum songs which are close to our hearts.

I was recently thinking upon why we are humming a particular song.

Do I hum "Tere Mere Sapne Ab ek Rang hai..." because of great interludes on saxophone by - the one and only Manohari Singh or the honeyed voice of Rafi or the great composition by Dada Burman.

Do I hum "Mera kucch Saman tumhare paas pada hai...." because of the ultimate longing in the voice of Asha or the gread melody composed by RD or the combined magic of RD + Asha.

Do I hum "Aap ki Nazaron ne samaza pyaar ke kabil muzhe...' for the serenity and pureness of Lata's voice or the great medoly and heavenly music of the Great Madan Mohan or the famed combination of Lataji and her Madanbhaiya.

Do I hum "Kahi door jab din dhal jaye........" for the honesty in Mukesh's voice or great music by the underutilised (by Hindi industry) Salil Chowdhury.

Do I hum "Tum Bin Jaoon Kahan...." for the naturally talented Kishore or great tune by the LP duo.

or more recently "Aye Ajanabi Tu bhi Kabhi aawaj de Kahin se..." appeals for the excellent rendition by Udit Narayan or because of great composition by "The" AR Rehman.

Enough of the list of songs which come to mind instantly ... the list is endeless.

We remember the singers and musicians of these songs immediately......... but do we realise that it is really the emotions in these words which appealed to us... it struck a cord somewhere in our hearts. Thats the reason that we remember these great compositions by great lyricists like Shailendra, Gulzar, Yogesh, Rajendrakrishna etc.

If you observed just like the singer/composer duos there are lyricist/composer duos also in the industry. Like Naushad & Shakil Badayuni, LP with Anand Bakshi, KA with Indivar, SD-Shailendra, SD/RD-Gulzar, OP with SH Bihari.

Two very special combinations that come to mind here. Majority of Madan Mohan compositions are Rajendrakrishna or Raja Mehandi Ali Khan. In fact RMAK has almost 90% of his creations composed by MM. In Marathi music, the amazingly talented Hridaynath Mangeshkar (composer and also a singer) has put to music some poetry of Suresh Bhat and Grace.

Whenever we remember our favourite song we tend to forget the entire poetry but remember only the mukhada. My attempt here is to help you enjoy the entire song.... word by word.

Sing to yourself .... not loudly.... but man hi man me ........ marathit manaatlya manaat.

I will be posting here some good poetry from Hindi/Marathi music. Whenever possible I will give all details like singer,film name, musician............... and of course the lyricist.

Help me with your suggestions, corrections, demands, orders whatever. Aap jaise sangeet or kavita premi ka hukoom sar aankhopar............

Keep humminnnnnnngggggggg...................

musically yours...................abhay