Saturday, August 30, 2014

सिमटी सी, शरमाई सी

सिमटी सी, शरमाई सी, किस दुनियाँ से तुम आई हो
कैसे जहाँ में समायेगा, इतना हुस्न जो लाई हो

हीरा नजर, चांदी बदन, रेशम हसीं, मुखड़ा चमन
कंगाल हैं सारे हसीन, बस एक तुम ही रखती हो धन
लूटने का डर हैं घबरायी हो

जब तक तुम्हे देखा नही, ये दिल कभी धड़का नही
आये गये कितने सनम, मैने मगर पूजा नही
तुम दिल की पहली अंगड़ाई हो

आँखे मिली, वादा हुआ, कुछ कह दिया, कुछ सुन लिया
ठहरे कहा बेताब दिल, कैसे मिले अपना पता
ज़ुल्फों की बदली, जब छाई हो


गीतकार : कैफी आझमी
गायक : किशोर कुमार
संगीतकार : मदन मोहन
चित्रपट : परवाना

सुनो सजना, पपीहे ने


सुनो सजना, पपीहे ने कहा सब से पुकार के
संभाल जाओ चमनवालो, के आये दिन बहार के

फूलों की डालियाँ भी यही गीत गा रही हैं
घड़ीयां पिया मिलन की नज़दीक आ रही हैं
हवाओं ने जो छेड़े हैं, फसाने हैं वो प्यार के

देखो ना ऐसे देखो, मर्ज़ी हैं क्या तुम्हारी
बेचैन कर ना देना, तुम को कसम हमारी
हम ही दुश्मन ना बन जाये, कही अपने करार के

बागों में पड़ गये हैं, सावन के मस्त झूले
ऐसा समा जो देखा, राही भी राह भूले
के जी चाहा यही रख दे, उमर सारी गुजर के

गीतकार : आनंद बक्षी
गायक : लता मंगेशकर
संगीतकार : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
चित्रपट : आये दिन बहार के - 1966

हे मैंने क़सम ली

हे मैंने क़सम ली
हे तूने क़सम ली
नहीं होंगे जुदा हम
हे मैंने क़सम ली...

साँस तेरी मदिर-मदिर जैसे रजनी गंधा
प्यार तेरा मधुर-मधुर चाँदनी की गंगा
नहीं होंगे जुदा...
मैंने क़सम ली...

पा के कभी खोया तुझे, खो के कभी पाया
जनम-जनम, तेरे लिये, बदली हमने काया
नहीं होंगे जुदा...
मैंने क़सम ली...

एक तन है, एक मन है, एक प्राण अपने
एक रंग, एक रूप, तेरे मेरे सपने
नहीं होंगे जुदा...
मैंने क़सम ली...

शायर : नीरज
गायक : किशोर कुमार, लता मंगेशकर
संगीतकार : एस.डी.बर्मन
चित्रपट: तेरे मेरे सपने (1971)

Thursday, March 13, 2014

एक अकेला इस शहर में

एक अकेला इस शहर में, रात में और दोपहर में
आबोदाना ढूँढता है, आशियाना ढूँढता हैं

दिन खाली खाली बर्तन है, और रात हैं जैसे अंधा कुवां
इन सूनी अंधेरी आखों में, आँसू की जगह आता हैं धुंआ
जीने की वजह तो कोइ नहीं, मरने का बहाना ढूँढता है

इन उम्र से लंबी सडकों को, मंजिल पे पहुचते देखा नहीं
बस दौड़ती, फिरती रहती है, हम ने तो ठहरते देखा नहीं
इस अजनबी से शहर में, जाना पहचाना ढूँढता है

गीतकार : गुलजार
गायक : भूपेंद्र
संगीतकार : जयदेव
चित्रपट : घरोंदा

Thursday, February 20, 2014

दिल जो ना कह सका


दिल जो ना कह सका
वोही राज़-ए-दिल कहने की रात आई

दिल जो ना कह सका

तौबा ये किस ने अंजुमन सजा के
टुकड़े किये हैं गुंच-ए-वफ़ा के - 2
उछालो गुलों के टुकड़े
के रंगीं फ़िज़ाओं में रहने की रात आई
दिल जो ना कह सका

चलिये मुबारक ये जश्न दोस्ती का
दामन तो थामा आप ने किसी का - २
हमें तो खुशी यही है
तुम्हें भी किसी को अपना कहने की रात आई
दिल जो ना कह सका

सागर उठाओ दिल का किस को ग़म है
आज दिल की क़ीमत जाम से भी कम है - २
पियो चाहे खून-ए-दिल हो

..... साहिर लुधियानवी

गायक - मोहम्मद रफ़ी
संगीत - रोशन

के पीते पिलाते ही रहने की रात आई
दिल जो ना कह सका