नैन हमारे सांझ सकारे
देखें लाखों सपने
सच ये कहीं
होंगे या नहीं
कोई जाने न
कोई जाने न
यहाँ
चलते रहें डगर पे गम की जीनके वास्ते
छलते रहें दिलों को अजनबी से रास्ते
सदियों से छाये , ये जो सपनों के साए
सच ये कहीं ...
मन ये कहे दुखी न हो ग़मों से हार के
लिखते रहे जो आंसुओं से गीत प्यार के
गीत वो चाहे रोए कोई हंस के गाये
सच ये कहीं ...
सुनते रहे बहारों की जो रोज़ आहटें
चुनते रहे लबों पे हम तो मुस्कुराहटें
दिल में दबाये लाखों अरमां जो हाय
सच ये कहीं ...
फिल्म : अन्नदाता (१९७२)
गायक : मुकेश
संगीत : सलिल चौधरी
गीत : योगेश गौड़
Thursday, January 19, 2012
Subscribe to:
Posts (Atom)