Wednesday, July 16, 2008

हर तरफ़ अब यही अफ़साने हैं.....

हर तरफ़ अब यही अफ़साने हैं
हम तेरी आंखो के दिवाने हैं
हर तरफ़ अब यही अफ़साने हैं…

इतनी सच्चाई हैं इन आंखो में
खोटे सिक्के भी खरे हो जाये
तु कभी प्यार से देखे जो उधर
सुखे जंगल भी हरे हो जाये
बाग बन जाये, बाग बन जाये जो विराने हैं
हम तेरी आंखो के दिवाने हैं
हर तरफ़ अब यहि अफ़साने हैं…

एक हल्का सा इशारा इनका
कभि दिल और कभि जां लूटेगा
किस तरह प्यास बुझेगी उसकि
किस तरह उसका नशा टूटेगा
ज़िसकि क़िस्मत में, जिसकि क़िस्मत में ये पैमाने हैं
हम तेरि आंखो के दिवाने हैं
हर तरफ़ अब यहि अफ़साने हैं…

निची नज़रों में हैं कितना जादु
हो गये पल में कयीं ख्वाब जवां
कभि उठने कभि झुकने कि अदा
ले चलि जाने किधर जाने कहां
रास्ते प्यार के, रास्ते प्यार के अंजाने हैं
हम तेरि आंखो के दिवाने हैं -२
हर तरफ़ अब यहि अफ़साने हैं…

गीत : कैफ़ी आज़मी
संगीत : मदन मोहन
गायक : मन्ना डे
फ़िल्म : हिंदुस्तान की कसम

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया गीत प्रेषित किया है।सुनने से ज्यादा पढने में अच्छा लगा।

SP Gadiyar (Abhay) said...

thanx your views match with mine. gaana gungunaneka maza kuch aur hi hai