लग जा गले के फ़िर ये, हसीन रात हो ना हो
शायद फ़िर इस जनम मे, मुलाकात हो ना हो
हम को मिली हैं आज ये घडीयां नसीब से
जी भर के देख लिजिये, हम को करीब से
फ़िर आप के नसिब मे, ये बात हो ना हो
शायद फ़िर इस जनम मे, मुलाकात हो ना हो
पास आईये के हम नहीं आयेंगे बार बार
बाहे गले में डाल के, हम रो ले जार जार
आखों से फ़िर ये, प्यार की बरसात हो ना हो
शायद फ़िर इस जनम मे, मुलाकात हो ना हो
चित्रपट : वह कौन थी
वर्ष : १९६४
सन्गीत : मदन मोहन
गीत : राजा मेहंदि अली खान
Saturday, July 5, 2008
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