आज ३१ जुलै रफ़ी जी को गुजरे 28 साल बीत चुके. शायद हि ऐसा कोइ दिन हो कि आपने गाया हुइ कोइ नगमा गुनगुनाया न हो..... हर मौसम ... हर मूड ... हर दिन .... सलाम रफ़ी जी .... शैलेंद्र जी के ये लब्ज हम सभी कि भावनाएं अभिव्यक्त कर रही है....
याद न जाए, बीते दिनों की
जाके न आये जो दिन, दिल क्यूँ बुलाए, उन्हें
दिल क्यों बुलाए
याद न जाये ...
दिन जो पखेरू होते, पिंजरे में मैं रख देता - २
पालता उनको जतन से
पालता उनको जतन से, मोती के दाने देता
सीने से रहता लगाए
याद न जाए ...
तस्वीर उनकी छुपाके, रख दूँ जहां जी चाहे - २
मन में बसी ये सूरत
मन में बसी ये सूरत, लेकिन मिटे न मिटाए
कहने को है वो पराए
याद न जाए ...
शायर : शैलेंद्र
संगीत : शंकर जयकिशन
चित्रपट : दिल एक मंदिर
गायक : महम्मद रफ़ी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)

No comments:
Post a Comment