दिल की आवाज़ भी सुन मेरे फ़साने पे ना जा
मेरी नज़रों की तरफ़ देख ज़माने पे ना जा
इक नज़र देख ले, जीने की इजाज़त दे दे
रूठने वाले वोह पहली सी मोहब्बत दे दे
इश्क़ मासूम है, इल्ज़ाम लगाने पे ना जा
मेरी नज़रों की तरफ़ देख ज़माने पे ना जा
वक़्त इन्सान पे ऐसा भी कभी आता है
राह में छोड के साया भी चला जाता है
दिन भी निकलेगा कभी, रात के आने पे ना जा
मेरी नज़रों की तरफ़ देख ज़माने पे ना जा
मैं हक़िकत हूं, ये इक रोज़ दिखाऊंगा तुझे
बेगुनाही पे मोहब्बत की रुलाऊंगा तुझे
दाग दिल के नहीं मिटतें हैं, मिटाने पे ना जा
मेरी नज़रों की तरफ़ देख ज़माने पे ना जा
फ़िल्म: हम साया
संगीत : ओ. पी. नय्यर
गायक : महम्मद रफ़ी
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