मन रे तु काहे न धीर धरे
ओ निर्मोही मोह न जाने जिनका मोह करे
मन रे तु काहे न धीर धरे
इस जीवन की चढती धलती
धूप को किस ने बांधा
रंग पे किअस ने पेहरे डाले
रूप को किस ने बांधा
काहे ये जतन करे
मन रे तु काहे न धीर धरे
उतना हि उपकार समझ कोइ
जितना साथ निभा दे
जनम मरन का मेल है सपना
ये सपना बिसरा दे
कोइ न संग मरे
मन रे तु काहे न धीर धरे
ओ निर्मोही मोह न जाने जिनका मोह करे
हो मन रे तु काहे न धीर धरे
चित्रपट : चित्रलेखा
गायक : महम्मद रफ़ी
संगीत : रोशन
बोल: साहिर लुधयानवी
Thursday, July 24, 2008
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