Friday, July 18, 2008

सोच के ये गगन झूमे

सोच के ये गगन झूमे अभी चान्द निकल आयेगा
झिलमिल चमकेंगे तारें सोच के ये गगन झूमे

चान्द जब निकल आयेगा देखेगा न कोई गगन को
चान्द को हि देखेंगे सारे चांद जब निकल आयेगा

फूल जो खिले न तो कैसे, बागो में आये बहार
दिप न जले तो सांवरिय कैसे मिटे अंधकार
रात देखो कितनि है काली अभि चांद निकल ...

चांद से भी तुम हसीं हो, नज़दीक आओ ज़रा
चांद के निकलने तलक तो, तुम जगमगाओ ज़रा
रात देखो कितनि है काली अबी चांद निकल ...

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