होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जानके खाया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर मुझे ......
दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाये होंगे
अश्क़ आंखों ने पिये और न बहाये होंगे
बन्द कमरे में जो खत मेरे जलाये होंगे
एक एक हर्फ़ जबिं पर भर आया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर मुझे ......
उसने घबराके नज़र लाख बचायी होगि
दिल कि लुटति हुयी दुनिया नज़र आयी होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटायी होगि -२
हाय..
हर तरफ़ मुझको तडपता हुआ पाया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर मुझे
छेड कि बात पे अर्मान मचल आये होन्गे
गम दिखावे कि हंसि में उबल आये होंगे
नाम पर मेरे जब आन्सू निकल आये होंगे
सर न कांधे से सहेलि के उठाया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर मुझे .....
ज़ुल्फ़ ज़िद करके किसि ने जो बनायी होगी
और भि ग़म कि घटा मुखडे पे छायी होगी
बिजलि नज़रों ने कई दिन न गिरायी होगि
रंग चेहरे पे कई रोज़ न आया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जानके खाया होगा
होके मजबूर मुझे ....
फ़िल्म : हकीकत
संगीत : मदन मोहनगयक : रफ़ी, तलत, मन्ना डे, भुपिन्दर
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