पास बैठो तबियत बहल जायेगी
मौत भी आ गयी है तो टल जायेगी
धार काजल की तुम और तीखी करो
मांग होठो की मीठी हँसी से भरो
ज़िन्दगी झुमने पर मचल जायेगी
मौत भी आ गयी है तो टल जायेगी
हमने माना के छायी है काली घटा
गोरे गलोंसे गेसू हटा दो जरा
इस अँधेरे में एक शम्मा जल जायेगी
मौत भी आ गयी है तो टल जायेगी
ग़म ने छेड़ा हमें तुम ना छेड़ा करो
जो तुम्हारे है उनसे न पर्दा करो
मुस्कुरा तो तमन्ना निकल जायेगी
मौत भी आ गयी है तो टल जायेगी
कवी : इन्दीवर
संगीत : सी . अर्जुन
गायक : महम्मद रफ़ी
फिल्म : पुनर्मिलन

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