Tuesday, May 7, 2013

संसार से भागे फिरते हो


संसार से भागे फिरते हो
भगवान को तुम क्या पाओ गे
इस लोग को भी अपना ना सके
उस लोग में भी पछताओगे

ये पाप है क्या ये पुन्य है क्या 
रीतो पर धरम ही मुहरे है 
हर युग में बदलते धर्मो को 
कैसे आदर्श बनाओगे 

ये भोग भी एक तपस्या है
तुम त्याग के मारे क्या जानो 
अपमान रचेता का होगा 
रचना को अगर ठुकराओगे
हम कहते है ये जग अपना है
तुम कहते हो झूठा सपना है
हम जनम बिता कर जायेंगे
तुम जनम गवांकर जाओगे

गीत : साहिर लुधियानवी
संगीत : रोशन
गायिका : लता मंगेशकर
चित्रपट : चित्रलेखा




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