माना हो तुम बेहद हसीं, ऐसे बुरे हम भी नही देखो कभी तो प्यार से, डरते हो क्यो इकरार से खुलता नहीं कुछ दिलरुबा, तुम हम से खुश हो या हो खफा तिरछी नज़र, तीखी अदा, लगते हो क्यो बेजार से देखो कभी तो प्यार से, डरते हो क्यो इकरार से तुम दो कदम दो साथ अगर, आसान हो जाये सफ़र छोड़ो भी ये दुनियाँ का ड़र, तोडो ना दिल इनकार से देखो कभी तो प्यार से, डरते हो क्यो इकरार से
Friday, May 17, 2013
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