कोई सोने के दिल वाला
कोई चांदी के दिल वाला
शीशे का है मतवाले तेरा दिल
महफ़िल ये तेरी नहीं
दीवाने कहीं चल
हैं तो सनम लेकिन पत्थर के सनम यहाँ
प्यार वाली नरमी अदाओं में कहाँ
होठों से देख इनके टकराए न तेरा प्याला
कोई सोने के दिल वाला।।।।।क्या जानिये कहाँ से आती है कानों में सदा
ए दीवाने गम तेरा सबसे जुदा
इस महफिल से उठा दिल न बेहलायेगा ये मतवाला
कोई सोने के दिल वाला।।।।।
शायर : मजरूह सुल्तानपुरी
संगीत : सलिल चौधरी
गायक : महम्मद रफ़ी
चित्रपट : माया

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