Monday, May 20, 2013

मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम


मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम
फिर मुझे नर्गिसी आँखों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे

ऐ मेरे ख्वाब की ताबिर, मेरी जान-ए-ग़ज़ल
जिंदगी मेरी तुझे याद किए जाती है
रात दिन मुझ को सताता हैं, तसव्वुर तेरा
दिल की धड़कन तुझे आवाज़ दिए जाती है
आ मुझे अपनी सदाओं का सहारा दे दे

भूल सकती नहीं आँखे वो सुहाना मंझर
जब तेरा हुस्न मेरे इश्क से टकराया था
और फिर राह में बिखरे थे हज़ारो नग्में
मैं वो नग्में तेरी आवाज़ को दे आया था
साज-ए-दिल को उन्ही गीतों का सहारा दे दे

याद हैं मुझ को मेरी उमर की पहली वो घड़ी
तेरी आँखोंसे कोई जाम पिया था मैने
मेरी रग रग में कोई बर्क सी लहराई थी
जब तेरे मरमरी हाथों को छुआ था मैने
आ मुझे फिर उन्ही हाथों का सहारा दे दे

मैने एक बार तेरी एक झलक देखी हैं
मेरी हसरत हैं के मैं फिर तेरा दीदार करू
तेरे साए को समझ कर मैं हसी ताजमहल
चाँदनी रात में नज़रोंसे तुझे प्यार करू
अपनी महकी हुई जुल्फों का सहारा दे दे

ढूंढता हूँ तुझे हर राह में हर महफील में
थक गये हैं मेरी मजबूर तमन्ना के कदम
आज का दिन मेरी उम्मीद का हैं आखरी दिन
कल ना जाने मैं कहा और कहा तू हो सनम
दो घड़ी अपनी निगाहों का सहारा दे दे

सामने आ के ज़रा परदा उठा दे रुख़ से
एक यही मेरा इलाज़-ए-गम-ए-तनहाई हैं
तेरी फुरकत ने परेशान किया हैं मुझको
अब तो मिल जा के मेरी जान पे बन आई हैं
दिल को भूली हुई यादों का सहारा दे दे
गीतकार : शकिल बदायुनी, गायक : मोहम्मद रफी, संगीतकार : नौशाद, चित्रपट : मेरे मेहबूब - 1963

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