Tuesday, May 28, 2013

अर्जियां

अर्जियां सारी  मैं चहरे  पे लिखके लाया हूँ 
तुमसे क्यां मांगू मैं तुम खुद ही समझ लो 
मौला मौला मौला मौला मेरे मौला 
मौला मौला मौला मौला मेरे मौला

दरारे दरारे है माथे पे मौला 
मरम्मत मुकद्दर की करदो मौला ...मेरे मौला 
तेरे दर पे झुका हूँ,  मिटा हूँ, बना हूँ,
मरम्मत मुकद्दर की करदो मौला

जो भी तेरे दर आया, झुकने को सर आया 
मस्तियाँ पिए सब को झूमता नज़र आया 
प्यास लेके आया था, दरिया वो भर लाया 
नूर की बारिश में भीगता सा तर आया 

मौला मौला मौला मौला मेरे मौला
दरारे दरारे है माथे पे मौला 
मरम्मत मुकद्दर की करदो मौला ...मेरे मौला 
तेरे दर पे झुका हूँ,  मिटा हूँ, बना हूँ,
मरम्मत मुकद्दर की करदो मौला

हो… एक खुशबू आती थी 
मैं भटकता जाता था 
रेशमी सी माया थी 
और मैं तक सा जाता था 
जब तेरी गली आया 
सच तभी नज़र आया 
मुझमे ही वो खुशबू थी 
जिससे तू ने मिलवाया 

मौला मौला मौला मौला मेरे मौला
दरारे दरारे है माथे पे मौला 

टूट के बिखरना मुझको ज़रूर आता है 
वर्ना इबादत वाला शहूर आता है 
सजदे में रहने दो, अब कहीं न जाऊँगा
अब जो तूने ठुकराया, तो संवर न पाऊंगा

मौला मौला मौला मेरे  मौला 
दरारे दरारे है माथे पे मौला 

सर उठा के मैंने तो कितनी ख्वाहिशे की थी 
कितने ख्वाब देखे थे ....कितनी कोशिशे की थी 
जब तू  रूबरू आया, नज़रें न मिला पाया 
सर झुक में एक पल में, मैंने क्या नहीं पाया 

मोरा पिया घर आया 
मौला मौला मौला मेरे  मौला 

geet  :  prasoon joshi
gaayak : javed ali, kailash kher
sangeet : A. R. Rehman 

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