जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना
संकेत मिलन का भूल न जाना
मेरा प्यार ना बिसराना
मैं पलकन डगर बुहारूंगा
तेरी राह निहारूंगा
मेरी प्रीत का काजल
तुम अपने नैनों में मले आना
जब दीप जले आना...
जहां पहली बार मिले थे हम
जिस जगह से संग चले थे हम
नदिया के किनारे आज
उसी अमवा के तले आना
जब दीप जले आना...
नित सांझ सवेरे मिलते हैं
उन्हें देखके तारे खिलते हैं
लेते हैं विदा एक दूजे से
कहते हैं चले आना
जब दीप जले आना...
गीत तथा संगीत : रविन्द्र जैन
संकेत मिलन का भूल न जाना
मेरा प्यार ना बिसराना
मैं पलकन डगर बुहारूंगा
तेरी राह निहारूंगा
मेरी प्रीत का काजल
तुम अपने नैनों में मले आना
जब दीप जले आना...
जहां पहली बार मिले थे हम
जिस जगह से संग चले थे हम
नदिया के किनारे आज
उसी अमवा के तले आना
जब दीप जले आना...
नित सांझ सवेरे मिलते हैं
उन्हें देखके तारे खिलते हैं
लेते हैं विदा एक दूजे से
कहते हैं चले आना
जब दीप जले आना...
गीत तथा संगीत : रविन्द्र जैन
गायक : येसुदास
चित्रपट : चितचोर (१९७६)
The beauty (or irony) of this song is penned by a blind man the song talks of Jab Deep Jale aana. Hats off to the vision of this blind lyricist composer. Take a bow Ravindra Jain Sir.

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