तेरा गमक्वार लेकिन मै तुझ तक आ नहीं सकता
मै अपने नाम तेरी बेकसी लिखवा नहीं सकता
तेरी आँख के आंसू पी जाऊं ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
तेरे गम में तुझको बहलाऊ ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
अय काश जो मिल कर रोते, कुछ दर्द तो हलके होते
बेकार न जाते आंसू, कुछ दाग जिगर के धोते
फिर राज न होता इतना, है तन्हाई में जितना
अब जाने ये रास्ता गम का, है और भी लम्बा कितना
हालात की उलझन सुलझाऊं ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
तेरी आँख के आंसू पी जाऊं
क्या तेरी ज़ुल्फ़ का लहरा, है अब तक वोही सुनहरा
क्या अब तक तेरे दर पे, देती है हवाएं पहरा
लेकिन है ये खाम-ओ-खयाली, तेरी ज़ुल्फ़ बनी है सवाली
मोहताज है एक कलि की, इक रोज़ थी फूलों वाली
वोह ज़ुल्फ़ परेशां महकाऊं ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
तेरी आँख के आंसू पी जाऊं
शायर : राजेंद्र कृष्ण
गायक : तलत महमूद
संगीत : मदन मोहन
चित्रपट :' जहाँआरा
Thursday, June 6, 2013
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