फिर वही शाम वही गम वही तन्हाई है
दिल को समझाने तेरी याद चली आई है
फिर तसव्वुर तेरे पहलु में बिठा जाएगा
फिर गया वक्त घडी भर तो पलट आएगा
दिल बहल जायेगा आखिर ये तो सौदाई है
फिर वही शाम ....
जाने अब तुझ से मुलाकात कभी हो के न हो
जो अधूरी रही वो बात कभी हो के न हो
मेरी मंजिल तेरी मंजिल से बिछड़ आई है
फिर वही शाम ....
फिर तेरे ज़ुल्फ़ के रुखसार की बाते होंगी
हिज्र की रात मगर प्यार की बाते होंगी
फिर मोहोब्बत में तड़पने की क़सम खाई है
फिर वही शाम ....
शायर : राजेंद्र कृष्ण
गायक : तलत महमूद
संगीत : मदन मोहन
चित्रपट :' जहाँआरा
Thursday, June 6, 2013
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