फ़ूलों के रंगसे, दिल की कलम से, तुज़ को लिखी रोज पाती
कैसे बताऊ किस किस तरह से, पल पल मुझे तू सताती
तेरे ही सपने लेकर के सोया, तेरे ही यादों में जागा
तेरे खयालों में उलझा रहा यूं जैसे के माला में धागा
बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें कई कई बार
इतना मदीर, इतना मधूर तेरा मेरा प्यार
लेना होगा जनम हुमें कई कई बार
सांसो की सरगम धडकन की बीना, सपनों की गीतांजली तू
मन की गली में महके जो हरदम ऐसी जूही की कली तू
छोटा सफ़र हो, लंबा सफ़र हो, सुनी डगर हो या मेला
याद तू आये, मन हो जाये, भीड के बीच अकेला
बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार.. ..
पूरब हो पश्चिम उत्तर हो दक्शिन तू हर जगह मुस्कुराये
जितना ही जाऊ मैं दूर तुझ से, उतनी ही तू पास आये
आंधी ने रोका, पानी ने टोका, दुनियां ने हसकर पुकारा
तसवीर तेरी लेकिन लिये मैं, कर आया सब से किनारा
बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार.. ..
शब्द: नीरज
संगीत : सचिन देव बर्मन
फ़िल्म : प्रेम पूजारी
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