ज़ाग दिल-ए-दीवाना
रुत जागी
वसल-ए-यार की
बसी हुइ ज़ुल्फ़ में
आयी है सबाह प्यार कि
ज़ाग दिल-ए-दीवाना...
दो दिल के कुछ लेके पयाम आयी है
चाहत के, कुछ लेके सलाम आयी है
दर पे तेरे सुबह खडी
खोयी है दीदार कि
जाग दिल-ए-दीवाना...
एक परी, कुछ शाद सी नाशाद सी
बैठी हुयी, शबनम में तेरी याद की
भीग रहीं होगी कहीं
कलि सि गुलज़ार कि
ज़ाग दिल-ए-दीवाना...
ए मेरे दिल, अब ख्वाबों से मूह मोड ले
बीति हुयी, सब रातें येही छोड दे
तेरे तो दिन रात हैं
अब आन्खों में दिलदार की
जाग दिल-ए-दीवन.....
फ़िल्म : ऊंचे लोग
गायक : महम्मद रफ़ी
संगीत : चित्रगुप्त
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