ये दिल तुम बीन कहिं लगता नहीं हम क्या करें -१
तसव्वुर में कोई बसता नहीं हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ जान-ए-वफ़ा हम क्या करें
लुटे दिल में दिया जलता नही हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ जान-ए-अदा हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या करें
किसी के दिल में बस के दिल को तडपाना नहीं अच्छा - २
निगाहों को छलकते देखके छुप जाना नही अच्छा,
उम्मिदों के खिले गुलशन को झुलसाना नही अच्छा
हमें तुम बिन कोई जचता नहीं हम क्या करें,
तुम्ही कह दो अब अए जान-ए-वफ़ा हम क्या करें
लुटे दिल में दिया जलता नहीं हम क्या करें
मोहब्बत कर तो ले लेकिन मोहब्बत रास आये भी- २
दिलों को बोझ लगते है कभि ज़ुल्फ़ों के साये भी
हज़ारों गम हैं इस दुनिया में अपने भी पराये भी
मुहब्बत ही का गम तन्हा नही हम क्या करें
तुम्ही कह दो अब ऐ जान-ए-अदा हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहिं लगता नहीं हम क्या करे
बुझा दो आग दिल कि या इसे खुल कर हवा दे दो - २
जो इसका मोल दे पाये उसे अपनि वफ़ा दे दो
तुम्हारे दिल में क्या है बस हमें इतना पता दे दो,
के अब तन्हा सफ़र कटता नहीं हम क्या करें
लुते दिल में दिया जलता नहीं हम क्या करें
ये दिल तुम बीन कहिं लगता नहीं हम क्या करे
शायर : साहिर
गायक : रफ़ी और लता
संगीत : लक्ष्मिकांत प्यारेलाल
फ़िल्म : इज़्ज़त
Thursday, August 21, 2008
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2 comments:
Mind Blowing Song..Sir..Thank you very Much for sharing..
Thanks Siddhesh.... visited your blog.. pl do add more of inspirational quotes..
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