दिल की गिराह खोल दो, चुप ना बैठो, कोइ गीत गाओ
महफील मे अब कौन है अजनबी, तुम मेरे पास आओ
मिलाने दो अब दिल से दिल को, मिटने दो मजबूरीयो को
शीशे मे अपने डुबो दो, सब फासलो दूरियो को
आखो मे मै मुसकुराऊ तुम्हारे जो तुम मुस्कुराओ
हम तुम ना हम तुन रहे अब कुछ और ही हो गए अब
सपनो के ज़िलामिल नगर मे, जाने कहा खो गए अब
हमराह पूछे किसी से ना तुम अपनी मंजिल बताओ
कल हम से पूछे ना कोइ, क्या हो गया था तुम्हे कल
मुड़कर नही देखते हम दिल ने कहा है चला चल
जो दूर पीछे कही रह गए, अब उन्हे मत बुलाओ
गीतकार : शैलेन्द्र
गायक : लता - मन्ना डे
संगीतकार : शंकर जयकिशन
चित्रपट : रात और दिन (१९६७)
Wednesday, April 27, 2016
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