Friday, April 22, 2016

रहते थे कभी जिनके दिल में


रहते थे कभी जिनके दिल में
हम जान से भी प्यारों की तरह
बैठे हैं उन्ही के कूचे में
हम आज गुनहगारों की तरह

दावा था जिन्हें हमदर्दी का
खुद आके न पूछा हाल कभी
महफ़िल में बुलाया है हम पे
हँसने को सितमगारों की तरह
रहते थे...

बरसों से सुलगते तन मन पर
अश्कों के तो छींटे दे ना सके
तपते हुए दिल के ज़ख्मों पर
बरसे भी तो अंगारों की तरह
रहते थे...

सौ रुप धरे जीने के लिये
बैठे हैं हज़ारों ज़हर पिये
ठोकर ना लगाना हम खुद हैं
गिरती हुई दीवारों की तरह
रहते थे...


गीतकार : मजरूह सुलतान पुरी
संगीतकार : रोशन
गायक लता मंगेशकर
फिल्म : ममता (१९६६)

http://gaana.com/search/songs/rehate%20the%20kabhi%20jinke

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