Saturday, August 30, 2014

हे मैंने क़सम ली

हे मैंने क़सम ली
हे तूने क़सम ली
नहीं होंगे जुदा हम
हे मैंने क़सम ली...

साँस तेरी मदिर-मदिर जैसे रजनी गंधा
प्यार तेरा मधुर-मधुर चाँदनी की गंगा
नहीं होंगे जुदा...
मैंने क़सम ली...

पा के कभी खोया तुझे, खो के कभी पाया
जनम-जनम, तेरे लिये, बदली हमने काया
नहीं होंगे जुदा...
मैंने क़सम ली...

एक तन है, एक मन है, एक प्राण अपने
एक रंग, एक रूप, तेरे मेरे सपने
नहीं होंगे जुदा...
मैंने क़सम ली...

शायर : नीरज
गायक : किशोर कुमार, लता मंगेशकर
संगीतकार : एस.डी.बर्मन
चित्रपट: तेरे मेरे सपने (1971)

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