तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन ज़िंदगी तो नहीं
काश ऐसा हो तेरे क़दमों से
चुन के मंजिल चलें , और कहीं , दूर कहीं
तुम अगर साथ हो , मंजिलों की कमी तो नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं...
जी में आता है तेरे दामन में
सर छुपाके हम रोते रहें , रोते रहें
तेरी भी आँखों में आँसुओं की नमी तो नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं...
तुम जो कह दो तो आज की रात
चाँद डूबेगा नहीं , रात को रोक लो
रात की बात है और ज़िंदगी बाकी तो नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं.
Thursday, January 3, 2013
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