Thursday, January 3, 2013

तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं

तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन ज़िंदगी तो नहीं 

काश ऐसा हो तेरे क़दमों से 
चुन के मंजिल चलें , और कहीं , दूर कहीं 
तुम अगर साथ हो , मंजिलों की कमी तो नहीं 
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं...

जी में आता है तेरे दामन में 
सर छुपाके हम रोते रहें , रोते रहें
तेरी भी आँखों में आँसुओं की नमी तो नहीं 
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं...

तुम जो कह दो तो आज की रात 
चाँद डूबेगा नहीं , रात को रोक लो
रात की बात है और ज़िंदगी बाकी तो नहीं 
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं.

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