Friday, September 21, 2012
तुम से कहूं इक बात
तुम से कहूं इक बात
परों से हलकी हलकी
रात मेरी है
छाओं तुम्हारे ही आँचल की
तुम से कहूं एक बात परों से
हलकी हलकी हलकी हलकी हलकी
सोईं गलियाँ
बांह पसारे
आँखें मींचे
सोईं गलियाँ
बांह पसारे
आँखें मींचे
मैं दुनिया से दूर
घनी पलकों के नीचे
देखूं चलते ख्वाब
लकीरों पर काजल की
तुम से कहूं
इक बात परों से
हलकी हलकी हलकी हलकी हलकी
धुंधली धुंधली
रैन मिलन का बिस्तर जैसे
धुंधली धुंधली
रैन मिलन का बिस्तर जैसे
खुलता छुपता
चाँद सेज के ऊपर जैसे
चलती फिरती खात
हवाओं पर बादल की
तुमसे कहूं
इक बात परों से
हलकी हलकी हलकी हलकी हलकी
है भीगा सा जिस्म तुम्हारा
इन हाथों में
है भीगा सा जिस्म तुम्हारा
इन हाथों में
बाहर नींद भरा पंछी
भीगी शाखों में
और बरखा की बूँद
बदन सी ढलकी ढलकी
तुम से कहूं
इक बात परों से
हलकी हलकी हलकी
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