Friday, September 7, 2012
हर तरफ अब यही अफ़साने हैं
हर तरफ अब यही अफ़साने हैं
हम तेरी आँखों के दीवाने हैं
हर तरफ अब यही अफ़साने हैं
इतनी सच्चाई है इन आँखों में
खोते सिक्के भी खरे हो जाए
तू कभी प्यार से देखे जो उधर
सूखे जंगल भी हरे हो जाए
बाग़ बन जाए , बाग़ बन जाए जो वीराने हैं
हम तेरी आँखों के दीवाने हैं
हर तरफ अब यही अफ़साने हैं
एक हल्का सा इशारा इनका
कभी दिल और कभी जान लूटेगा
किस तरह प्यास बुझेगी उसकी
किस तरह उसका नशा टूटेगा
जिसकी किस्मत में , जिसकी किस्मत में ये पैमाने हैं
हम तेरी आँखों के दीवाने हैं
हर तरफ अब यही अफ़साने हैं
नीची नजरो में हैं कितना जादू
हो गए पल में कई ख्वाब जवाँ
कभी उठने कभी झुकने की अदा
ले चली जाने किधर जाने कहाँ
रास्ते प्यार के , रास्ते प्यार के अनजाने हैं
हम तेरी आँखों के दीवाने हैं -2
हर तरफ अब यही अफ़साने हैं
तर्ज : मदन मोहन
कलाम : कैफ़ी आजमी
आवाज : मन्ना डे
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